एक- अग्र!
एक- अग्र Concentration. ध्येय में एकाग्र होकर पदार्थ का ध्यान करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
एक- अग्र Concentration. ध्येय में एकाग्र होकर पदार्थ का ध्यान करना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संघ : == संघो गुणसंघात:, संघश्च विमोचकश्चकर्मणाम्। दर्शनज्ञानचरित्राणि, संघातयन् भवेत् संघ:।। —समणसुत्त : २५ गुणों का समूह संघ है। संघ कर्मों का विमोचन करने वाला है। जो दर्शन, ज्ञान और चारित्र का संघात (रत्नत्रय की समन्विति) करता है, वह संघ है। कर्मरजजलौघविनिर्गतरस्य, श्रुतरत्नदीर्घनालस्य। पंचमहाव्रतस्थिरर्किणकस्स, गुणकेसरवत:।। श्रावकजन—मधुकर—परिवृतस्य, जिनसूर्यतेजोबुद्धस्य। संघपद्मस्य…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हूहूकांग – Huuhuukaamga. A large unit of time. 84 लाख महाकमल प्रमाण काल। इसे नलिनांग, पùांग, कुमुदांग भी कहते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परमात्मप्रकाश: A book written by Acharya Yogendudev.ई0श0 6 के उत्तरार्ध में आचार्य योगेन्दुदेव द्वारा रचित एक ग्रन्थ ।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सम्यक् ज्ञान : == यथा यथा श्रुतमवगाहते, अतिशयरसप्रसरसंयुतमपूर्वम्। तथा तथा प्रह्लादते मुनि:, नवनवसंवेगश्रद्धाक:।। —समणसुत्त : २४७ जैसे—जैसे मुनि अतिशय रस के अतिरेक से युक्त अपूर्वश्रुत का अवगाहन करता है, वैसे—वैसे नित—नूतन वैराग्ययुक्त श्रद्धा से आह्लादित होता है। सूची यथा ससूत्रा, न नश्यति कचवरे पतिताऽपि। जीवोऽपि तथा ससूत्रो, न…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हिमनाष – Himanaasa. Deformation of ice, cause of asceticism of Lord Shitalnath. बर्फ का पिधल जाना (यह तीर्थकर शीतलनाथ की वैराग्य उत्पत्ति का कारण था)।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पर भाव:Passionate feelings contrary to the real nature of soul.परचतुष्टय में एक, अनंत ज्ञानदर्शनादि आत्मभवों के अतिरिक्त अन्य सभी राग-द्वेषादि विभाव परभाव है।
[[श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[श्रेणी:शब्दकोष]] == धर्मचरण : == जरा यावत् न पीडयति, व्याधि: यावत् न वद्र्धते। यावदिन्द्रियाणि न हीयन्ते, तावत् धर्मं समाचरेत्।। —समणसुत्त : २९५ जब तक बुढ़ापा नहीं सताता, जब तक व्याधियां (रोगादि) नहीं बढ़ती और इन्द्रियाँ अशक्त अक्षम) नहीं हो जातीं, तब तक (यथाशक्ति) धर्माचरण कर लेना चाहिए क्योंकि बाद में अशक्त एवं असमर्थ…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] हास्य वेदनीय कर्म प्रकृति – Haasya Vedaniya karma Prakrti. The Karmic nature causing laughing or ridiculous feelings. मोहनीय कर्म की प्रकृति। जिस कर्म के उदय से जीव के हास्य निमित्तक या हंसी रुप भाव उत्पन्न होते है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]हर्ष – Harsa. Happiness, pleasure, name of the predestined 3rd Rudra (saint trainted from the real path). प्रसन्नता, भावीकालीन तीसरा रुद्र।