भोगरति!
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोगरति:Involvement in all sensual pleasures constantly. नित्य भोग विलास का सेवन करना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] भोगरति:Involvement in all sensual pleasures constantly. नित्य भोग विलास का सेवन करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृंदावना –Vrindavana Name of the poet, the writer of ‘Vrindavan Vilas’ etc. many books. तीस चौबीसी पूजन, वृन्दावन, विलास, प्रवचनसार टिका अर्ह्त्पसकेवली आदि ग्रंथो के रचीयता एक कवि ” समय – ई. १८०३ – १८४८ “
ग्रामदाह An obstacle in saint food on having burning incident in a village. जिस ग्राम में साधु आहार के लिए गए हैं यदि अग्नि आदि का प्रकोप हो जाए तो यह ग्रामदाह नाम का अन्तराय होता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वीतराग सुख –VitaragaSukha. Supreme bliss. अनंत सुख ” शुधात्मा के दर्शन से प्राप्त जिनेश्वरों का सुख “
गरूडेंद्र A celestial deity (Indra). एक इन्द्र; वंशधर पर्वत पर पूर्वभव के पुत्र देशभूषण व कुलभूषण मुनियों का राम लक्ष्मण द्वारा युप्सर्ग निवारण किए जाने पर गरूडेंद्र ने उनको संकट के समय रक्षा का वर दिया ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशालकीर्ति – Vishalakirti. Name of a Bhattarak of Nandi.Group, A disciple of pandit Ashadhar. नंदिसंघ बलात्कारगण नागौर गद्दी के एक भट्टरक, समय – वि. स. १६०१, पं. आशाधरजी के प्रधान शिष्य में एक शिष्य “
गर्भगृह Confinement room, Sanctum, a sacred place or shrine cell. मंदिर के बीच का प्रधान भाग जिसमें मुख्य भगवान की प्रतिओमा रखी जाती है , भवनवासी देवों के भाव्नॉन में एक गृह ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य सरंचना – Bahya Samracana. Exterior structure of body. बाह्य निवृति; पुदूगलों की इन्द्रयों के आकाररूप रचना होना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूतज्ञायक शरीर – Bhutagyaka Sarir. Left body of most learned one (after death). कर्मस्वरूप की जाने वाला जिस शरीर को छोड़ आया है वह भुतज्ञायक शरीर है इसके च्युत, च्यावित, त्यक्त ३ भेद हैं “
गति-अगति(गुण प्राप्ति) Possibility of virtues in different body forms (Gatis). किस गति से किस गति में उत्पन्न जींव कौन-कौन से गुण उत्पन्न करने योग्य हो सकता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]