श्रीकूट!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीकूट – Shreekoota. The 6th summit of Himvan Kulachal (mountain), Name of the 33rd city in south of Vijayardh mountain. हिमवान कुलाचाल का छठा कूट, विजयार्थ की दक्षिणश्रेणी का 33वां नगर “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीकूट – Shreekoota. The 6th summit of Himvan Kulachal (mountain), Name of the 33rd city in south of Vijayardh mountain. हिमवान कुलाचाल का छठा कूट, विजयार्थ की दक्षिणश्रेणी का 33वां नगर “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नाना गुणहानी – Nana Gunahani Various geomaetric regressions गुणहानियों के समूह को नानागुणहानी कहते है ”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == साधना : == तस्य न कल्पते भक्त—प्रतिज्ञा, अनुपस्थिते भयं पुरत:। स मरणं प्रेक्षमाणं:, भवति हि श्रामण्यनिर्विण्ण:।। —समणसुत्त : ५७३ (किन्तु) जिसके सामने (अपने संयम, तप आदि साधना का) कोई भय या किसी भी तरह की क्षति की आशंका नहीं है, उसके लिए भोजन का परित्याग करना उचित नहीं…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रामण्य – Shraamanya. See – Shramana देखें – श्रमण ” निरुपराग ही श्रामण्य होता है “
देश A country, a part of earth. पृथिवी का वह भाग जिसका कोई विशिष्ट नाम हो और जिसके अंदर अनेक प्रदेश, ग्राम आदि हों, जैसे – भारत देश आदि ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] नागसेन – Nagasena Name of the saint possessing knowledge of 11 Angas nad 10 Purvas, a writer of ‘Tattvanushaan. भद्रबाहु प्रथम के पश्चात् पाँचवे 11 अंग व 10 पूर्व धारी मुनि (वी.नि. 229-247 )” इनका अपरनाम नाग है ”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूपाल चतुर्विशतिका – Bhupala chaturvishtika. Name of a treatise written by pandit Ashadhar. पं. आशाधर (ई. ११७३-१२४३) कृत एक ग्रंथ का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रद्धावान (कूट) – Shraddhaavaan (koota). A summit of vakshar mountain of western Videh (region). अपर विदेह के वक्षार का एक कूट “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == समभाव : == जस्स ण विज्जदि रागो, दोसो मोहो व सव्वदव्वेसु। णासवदि सुहं असुहं, समसुहदुक्खस्स भिक्खुस्स।। —पंचास्तिकाय : १४२ जिस साधक का किसी भी द्रव्य के प्रति राग, द्वेष और मोह नहीं है, जो सुख—दु:ख में समभाव रखता है, उसे न पुण्य का आस्रव होता है और न…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शौच – Shaucha. Purification, greedlessness, Satisfaction. पवित्रता, लोभ का अभाव, संतोष का भाव “