श्रद्धानाश्रद्धान!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रद्धानाश्रद्धान – Shraddhaanaashraddhaana. Right belief and disbelief (caused due to the fruition of Samyagmithyatva Karma). सम्यग्मिथ्यात्व कर्म के उदय होने पर मिश्र गुणस्थान में पाए जाने वाले मिश्र परिणाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रद्धानाश्रद्धान – Shraddhaanaashraddhaana. Right belief and disbelief (caused due to the fruition of Samyagmithyatva Karma). सम्यग्मिथ्यात्व कर्म के उदय होने पर मिश्र गुणस्थान में पाए जाने वाले मिश्र परिणाम “
तुषमाषभिन्नत् Distinction between body and soul. छिलके और उड़द की तरह शरीर और आत्मा भी भिन्न है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शोधन – Shodhana. The act of cleansing or purifying. संशोधन, शुद्ध करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रशमाभास- प्रषम भाव का झूठा अहंकार करने वाले मिथ्यादृशिट के सम्यक्त्व का सदभाव न होने से प्रषमाभास होता है। Prasamabhasa- False pride of spiritual calmness
तीन Three (three jewels of Jain philosophy etc.). एक संख्या , तीन लोक , तीन चैबीसी , रत्नत्रय (तीन रत्न), तीन अज्ञान इत्यादि । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रवर्तक (साधु)- जो ज्ञान से अल्प है परन्तु सर्व संघ की मर्यादा योग्य आचरण का जिसको ज्ञान है उसको प्रवर्तक साधु कहते है। Pravartaka ( Sadhu )- A type of Digamber Jain saints
तिर्यक् चतुष्टकय A quartet related to subhuman beings (Tiryanch). तिर्यच गति, तिर्यचगत्यानुपूर्वी, तिर्यचआयु, उद्योत।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
झांझ A cymbal, to be kept near the idol of Lord Jinendra, Passion, Anger, Wickedness. जिनेन्द्र देव की प्रतिमाओं के समीप विद्यमान रहने वाले अष्ट 108 मंगल द्रव्यों में ण्क चित्त का बुरा आवेग, क्रोध, दुष्टता । [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रत्यक्षबाधित- pratyaksabadhita Refutable perception जिस साध्य की सिद्धी में प्रत्यक्ष से बाधा आये, जैसे अगिन ठंडी है।