वाचिक!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाचिक – Vaachika.: To pay reverence eulogically (directly or indirectly). उपचार विनय के 3 भेदों में एक भेद ; वचनों अर्थात गुणानुवाद द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष विनय करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वाचिक – Vaachika.: To pay reverence eulogically (directly or indirectly). उपचार विनय के 3 भेदों में एक भेद ; वचनों अर्थात गुणानुवाद द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष विनय करना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाव विह्र्ल पूर्ण – Bhava Vivhala Purna. One with full of emotions. भावुकता पूर्ण “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचसमवाय – Panchasamavaaya. Five kinds of inherent properties. स्वभाव, निमित्त, नियति, पुरुषार्थ व भवतव्य यें पांच समवाय कहे जाते हैं” एन पाँचों सैमवायों से समवेत ही कार्यव्यवस्था की सिद्धि है, ऐसा प्रायोजन है “
ध्रुवसेन Name of a great Acharya, possessing knowledge of 11 Angas. भगवान महावीर स्वामी के पीछे हुए 11 अंगों के ज्ञाता 5 आचार्यों में चैथे आचार्य, अपरनाम द्रुमसेन। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बीजपद – BijaPada. Essenceful group of words used for infinite knowledge. संक्षिप्त शब्द रचना से सहित अन्तत अर्थो के ज्ञान का हेतु – भूत अनेक चिह्नों सें संयुक्त बिजपद कहलाता है “
ध्यानप्रवाह Course of meditation. संपूर्ण ध्यान की स्थिति। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] म्रक्षित दोष–Mrakshit Dosh. An obstacle related to the food of saints (offering foods with oily hands or spoon etc.). आहार का एक दोष; घी–तेल आदि चिकने पदार्थसे लिप्त हाथ या चम्मच आदि के द्वारा साधु को आहार देना”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच प्रायश्चित सूत्र – Pancha Praayashchita Sutra. Five particular religious fomulae related with repentance. आगम, श्रुत, आज्ञा, धारणा, जीत “
धृतिषेण Name of a great Acharya possessing knowledge of 11 Angas & 10 Purvas. भद्रबाहु प्रथम (श्रुतकेवली) के पश्चात् हुए 11 अंग व 10 पूर्वधारी सातवें आचार्य (ई. पू. 263-245)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]