रथसेना!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रथसेना – तीसरा सैन्य कक्ष, यह सेना अपने सेनापति के अघीन रहती है। इसमें 8 हजार हाथी होते है, एवं युद्ध के समय अष्वसेना के पीछे चलती है। Rathasena-A division of army containing chariots
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रथसेना – तीसरा सैन्य कक्ष, यह सेना अपने सेनापति के अघीन रहती है। इसमें 8 हजार हाथी होते है, एवं युद्ध के समय अष्वसेना के पीछे चलती है। Rathasena-A division of army containing chariots
चित्रा Name of a lunar, A female deity of Ruchak mountain. एक नक्षत्र : पद्मप्रभु भगवान के गर्भ नक्षत्र का नाम , रूचक पार्कात निवासिनी एक दिक्कुमारी देवी ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सरस्वतीमंत्रकल्प – Sarasvateemamtrakalpa. Name of a book written by Acharya Malishen. आचार्य मल्लिषेण कृत तंत्र-मंत्र विषयक संस्कृत भाषाबद्व रचना।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगपरिवर्तन – योग सक्रान्ति प्रथम षुक्लध्यान में मन वचन काय योगो का पलटना। Yogaparivartana-Transition of all activities (related to mind speech & body) in auspicious & sacred mode
चित्तरक्ष Father’s name of Lord Dharmanath (of past birth). धर्मनाथ भगवान के पूर्व भव के पिता का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्यग्मिथ्याचारित्र – Samyagmithyaacaaritra. Right-cum-wrong conduct. चारित्र मोह की एक प्रकृति जिसके उदस से यथार्थ व मिथ्या दोनो प्रकार का मिश्रित आचरण है।
चैत्यभक्ति Act of adoration, Name of a composition (prayer). सिद्ध-अर्हन्त प्रतिमाओं के प्रति श्रद्धां एवं गुणानुराग , पूज्यपाद एवं कुन्दकुन्द आचार्य कृत प्राकृत की १० भक्तियों में से एक भक्ति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्ष परिणाम विधान -Sparssana Parinaama Vidhaana. A type of Anuyogdwar (disquisition door).देखे- स्पर्ष अंतर विधान।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूक्मिणी व्रत – श्रीकृश्ण की पटरानी रूकमणी ने लक्ष्मीमती के भवन मे जो व्रत लिया था।भादों सुदी 8, 10, 12, 14 को उपवास 7, 9, 11, 13, 15 को चारणा इस तरह 8 वर्श तक करना।व्रत विधान संग्रह से उद्धृत । Rukmini Vrata-A specified procedural fasting
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुख्य गौण व्यवस्था–Mukhya Gauna Vyavastha. Something intended and non–intended. स्याद्वाद शैलीअथवा प्रक्रिया; दो धर्म में जो प्रधान होता है वेह मुख्य कहलाता है और जो अप्रधान होता है वेह गौण कहलाता है”