गोम्मटेश्र्वर!
गोम्मटेश्र्वर The statue of Lord Bahubali situated at Shravanbelgola. दक्षिणी भारत के श्रवणबेलगोला में चामुंडराय(गोम्मत) द्वारा स्थापित ५७ फुट उत्तुनंग भगवन बाहुबली की प्रतिमा का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गोम्मटेश्र्वर The statue of Lord Bahubali situated at Shravanbelgola. दक्षिणी भारत के श्रवणबेलगोला में चामुंडराय(गोम्मत) द्वारा स्थापित ५७ फुट उत्तुनंग भगवन बाहुबली की प्रतिमा का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मणिकांचन योग – Manikaanchan Yoga. Mutual glorificatory association. जिस प्रकार मणि युक्त स्वर्ण अंगूठी में मणि से स्वर्ण की शोभा बढ़तीं है एवं स्वर्ण से मणि की शोभा बढ़तीं है उसी प्रकार परस्पर में एक-दूसरे की शोभा के वृधिगंत होने से मणिकांचन योग कहलाता हैं “
द्वेष Aversion, Antipathy, Hatred. अप्रीति या वैरभाव होना। क्रोध, मान, अरति, शोक, जुगुप्सा, भय ये सभी द्वेष के ही रूप हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
गृहीत मिथ्यात्व Wrong conception (acquired by the false speech). दूसरे के द्वारा मिथ्या उपदेश सुनकर जीवादि पदार्थों के विषय में जो मिथ्या श्रद्धान रूप भाव उत्पन्न होता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
द्धिपर्वा A super knowledge of medicine. एक औषध विद्या, दिति-अदिति द्वारा नमि और विनमि विद्याधरों को दी हुई 16 निकायों की विद्याओं में एक विद्या।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चंद Some, a few, one or two, Name of a summit and its deity. कुछ, थोडा , अपर विदेह मने स्थित देवमाल वक्षार का एक कूट व देव ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गुप्तिश्रुति” Name of the disciple of Vinayandhara and the teacher of Guptiriddhi. विनयंधर के शिष्य तथा गुप्तिऋद्धि के गुरु .समय -ई.१३ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उदयदेव Name of an Acharya. वादीभसिंह की उपाधि से अलंकृत एक दगिम्बर आचार्य (ई.770-860)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
गुप्तिसागर(उपाध्याय) Name of the disciple of Acharya Shri Vidyasagar Maharaj, who got Upadhyay rank from Acharya Shri Vidyanand Maharaj. आचार्यश्री विद्यासागर महाराज से दीक्षित एक मुनि (ई.श. २०-२१), इन्होने आचार्यश्री विद्यानंद महाराज से उपाध्याय पद प्राप्त किया ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मक्सी पार्श्वनाथ (तीर्थ) – Makshi Parshvanatha (Tirtha).: Name of a Jaina place of pilgrimage, an Atishay Kshetra of Lord Parshvanath in M.P. मध्य प्रदेश में सेंट्रल रेलवे की भोपाल – उज्जैन शाखा पर अवस्थित एक अतिशय क्षेत्र ” यह क्षेत्र भगवान्पार्श्वनाथ की प्रतिमा के अतिशयों के कारण अतिशय क्षेत्र कहलाता हैं “