मृषापाप!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृषापाप–Mrashapaap. To speak a lie, a sin. 5 पापो में दूसरा पाप–असत्य भाषण या झूठ बोलना”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृषापाप–Mrashapaap. To speak a lie, a sin. 5 पापो में दूसरा पाप–असत्य भाषण या झूठ बोलना”
देवदर्शन Paying reverence to Lord- Arihant with proper procedure. जिनेन्द्र भगवान का विधिपूर्वक दर्शन करना, जिससे करोड़ों उपवास का फल प्राप्त होता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भावयोग – Bhavayoga. Subjective (psychical) vibration. मन वचन काय से संयुक्त संसारी जीव के अंगोपांग व शरीर नाम कर्म के उदय से जीव की वह शक्ति जो कर्म व नोकर्म को ग्रहण करती है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसकर्म – मंत्र – तंत्र आदि के द्वारा रस आदि की सिद्धि करना। Rasakarma- Mystical activity
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभाव – Vibhava. Passionate feelings ( i.e feelings contrary to real nature ) due to the fruition of Karmas. कर्मों के उदय से होने वाले जीव के रागादि भावों को विभाव कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगवक्रता – मन वचन काय की कुटिलता। Yogavakrata-Crookedness in activities of mind, speech & body
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विषयातीत – Vishayatita. Supreme bliss. विषयों की निवृति से उत्पन्न होने वाला सुख अर्थात् संसार के विषयों से अतीत स्वाधीन अव्याबाध सुख “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगमुद्रा – पल्संकासन, पर्यकासन और वीरासन इन तीनो मे से किसी भी आसन के साथ, बाए हाथ की हथेली पर दाए हाथ की हथेली रखकर ध्यानावस्था में बैठना। Yogamudra-A cross legged posture of meditation
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विन्दफल – Vindaphala.: Volume,space occupied. आयतन ,घनफल ,विस्तार “
एक सौ उन्हत्तर A number – 169 (169 super human beings). 169-169 दिव्य पुरूष (महापुरूष ) कहे जाते हैं(तिलोयपण्णत्ति के अनुसार)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]