स्निग्धत्व!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्निग्धत्व – Snigdhatva. Greasiness, lubricity, smoothness.परमाणु बंध का एक कारण। देखे- स्निग्ध गुण।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्निग्धत्व – Snigdhatva. Greasiness, lubricity, smoothness.परमाणु बंध का एक कारण। देखे- स्निग्ध गुण।
आर्यनंदि Disciple of ‘Acharya Chandrasen’ and spiritual guide of Veersen ji. पंचस्तूप संघ की पट्टावली के अनुसार चंद्रासेन के शिष्य तथा वीरसेन (धवलाकार) के गुरू थे (ई.767-798)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चलाचल Movables and immovables (reg. all beings). संसारी जीव के चालित , अचलित , चलिताचलित प्रदेशों में तीसरा भेद ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्ष भागाभाग विधान – Sparssana Bhagaabhaaga Vidhaana. A type of Anuyogdwar (disquisition door).देखे- स्पर्ष अंतर विधान।
दंड समुद्घात Expansion of spaces of soul in term of 14 Rajju. केवली के समुद्घात करने का प्रथम चरण, केवली भगवान की आयु कर्म की स्थिति वेदनीय , नाम, गोत्र के बराबर करने के लिए आत्मा के प्रदेश वातवलय को छोड़कर दण्डरूप से 14 राजू तक फैल जाते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेघनाद–Meghnad. Son of the king ‘Meghvahan’ of Gaganvallabh city, Past birth name of the 1st chief disciple of Lord Shantinath, A son of Ravan. गगनवल्लभ नगर के राजा मेघवाहनका पुत्र, शांतिनाथ भगवान् के प्रथम गणधर के छठे पूर्वभव का जीव, रावण का पुत्र (अपरनाम–इन्द्रजीत)”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्ष क्षेत्र विधान – Sparssa Ksetra Vidhaana. A type of anyyogdwar (disquisition door), contact of matters with atmosphere.देखे- स्पर्श अंतर विधान, जो द्रव्य एक क्षेत्र के साथ स्पर्ष करता है वह सब एक क्षेत्र स्पर्श है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशेष संग्रह नय – Vishesha Samgraha Naya. A word or phrase used for expressing a collec- tive form of something like herd of elephants etc. दृष्टांतों के द्वारा प्रत्येक जाति के समूह को नियम से एक वचन के द्वारा स्वीकार, करके कथन करने वाला नय ” जैसे – हाथियों का झुण्ड, घोड़ों…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शेषवती – Sheshavatee. Name of female divinity of Ruchak mountain. रुचक पर्वत निवासिनी दिक्कुमारी देवी “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थूल -स्थूल – Sthuula-Shuula. Solid materials (which can not be rejoined on breaking).स्कंध के 6 भेदो मे अंतिम भेद। जो स्कंध टूटने पर स्वंतः नही जुड़ सकते ऐसे काष्ठ, पत्थर आदि।