धर्मरत्नाकर!
धर्मरत्नाकर A book written by Acharya Jaisen. आचार्य जयसेन (ई. 998) कृत सप्ततत्वद निरूपक एक संस्कृत श्लोकबद्ध श्रावकाचार। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
धर्मरत्नाकर A book written by Acharya Jaisen. आचार्य जयसेन (ई. 998) कृत सप्ततत्वद निरूपक एक संस्कृत श्लोकबद्ध श्रावकाचार। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तामर विधान – Bhakramara Vidhana. A worshipping book of Bhaktamar Stotra. एक पूजा विशेष जिसमें भक्तामर स्तोत्र के ४८ काव्य पढ़कर ४८ अधर्य चढ़ाते हुए भगवान आदिनाथ की पूजा की जाती है ” इसकी रचना गणिनी ज्ञानमती माताजी की शिष्या आर्यिका श्री चंदनामति माताजी के द्वारा की गई है ” अन्य लेखकों…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच भ्रष्ट मुनि – Pancha Bhrashta Muni. Saint with five types of faults. पार्श्वस्थ, कुशील, संसक्त (आहार का लोभी), अपगत (ज्ञान रहित), मृगचारी (स्वछन्द अर्थात् अनर्गल विहारी) मुनि “
धर्मपरीक्षा A book written by Acharya Amitgati. आचार्य अमितगति द्वारा वि. 1070 में रचित एक ग्रंथ या कथानक। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वांछा – Vaanchaa.: Desire,Longing, a type of passion. इच्छा ,अभिलाषा “इसे ही परिग्रह कहा गया है “
उषित अन्न Stale food, Not edible. बासी व अमर्यादिक भोजन, अग्नि पर पकाये हुए अथवा गर्म घी में पकाये हुए पदार्थ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
धर्म(स्वभाव) The real nature of an element. वस्तु का स्वभाव ही धर्म है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसुनंदि – Vasunandi.: Name of different Acharyas of Nandi group. नंदिसंघ देशीयगण के एक आचार्य ,जिनका अपरनाम जयसेन था “श्रावकाचार ,प्रतिष्ठासार संग्रह ,मूलाचार वृत्ति, आप्तमीमांसा वृत्ति ,जिनशतक,वस्तु आदि के रचयिता ” समय –ई.स. 1068-1118 “इस नाम के और भी कई आचार्य हुए हैं “
उभयशुद्धि सम्यग्ज्ञान का एक अंग व्यंजन और उसके वाच्य (अर्थ) अभिप्राय की शुद्धि उभयशुद्धि है। अपरनाम तदुभयशुद्धि।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
धनवन्तरि The semi god of health. स्वास्थ्य के देवता, मेरूदत्त सेठ के आयुर्वेदिक परामर्शदाता।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]