वृत्तिसूत्र!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृत्तिसूत्र –Vrttisutra. Briefing of some principle etc. जिसमे संक्षिप्त शब्दों में या सूत्र के समस्त अर्थ को संग्रहीत कर लिया जाता हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वृत्तिसूत्र –Vrttisutra. Briefing of some principle etc. जिसमे संक्षिप्त शब्दों में या सूत्र के समस्त अर्थ को संग्रहीत कर लिया जाता हैं “
उपयोग (शुभ) Gracious attention. दया दान पूजा व्रत शील आदि रुप रागरुप परिणाम होना।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुनिदेव–Munidev. The chief disciple of Lord Adinath. भगवान् आदिनाथ के गणधरो का नाम”
उपपादसभा Hall of genesis (origin) . कल्पवासी देवों के चैत्यालय में सुधर्मा सभा के ईशान दिशा में उपपाद सभा है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वासना – Vaasanaa.: Passion,Passionate feelings. संस्कार, अविद्या ,अज्ञान, कषाय आदि की पुनः पुनः प्रवृत्ति रूप अभ्यास से उत्पन्न संस्कार वासना कहलाते हैं “
उपकार Beneficence, favour, Kindness. भला उपग्रह धर्म द्रव्य गतिरूप से तथा अधर्मद्रव्य स्थिति रूप से जीव और पुद्गल का उपकार करते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वायुशर्मा – Vaayusharmaa.: Name of the 10th chief disciple of Lord Rishabhadev. भगवान ऋषभदेव के 10वें गणधर “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेरुषेणा–Merushena. Name of main Aryika (Ganini) in the assembly of Lord Abhinandan–nath. तीर्थंकर अभिनन्दननाथ के संघ की 3 लाख 30 हजार 6 सौ आर्यिकाओ में प्रधान (गणिनी) आर्यिका”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्ध द्रव्य व्यंजनपर्याय नैगमनय – Shuddha Dravya Vyanjana Paryaaya Naigamanaya. A standpoint related to distinct & indistinct description of a pure matter (Pudgal) & one of its Vyjana paryaya. शुद्धद्रव्य व उसकी किसी एक व्यंजनपर्याय को गौण-मुख्यरूप से विषय करने वाला नय “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुनरुत्थान – Punarutthana. Revival, Renaissance; resurrection. पुनर्जीवन, जीर्णोध्दार करना “