शुभानुबंधा निर्जरा!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभानुबंधा निर्जरा – Shubhaanubandhaa Nirjaraa. Dissociation of immature Karmas causing auspicious temperament. मिथ्याद्रिष्टियों की अविपाक निर्जरा-इच्छा निरोध न होने के कारण यह शुभानुबंधा निर्जरा कहलाती है
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुभानुबंधा निर्जरा – Shubhaanubandhaa Nirjaraa. Dissociation of immature Karmas causing auspicious temperament. मिथ्याद्रिष्टियों की अविपाक निर्जरा-इच्छा निरोध न होने के कारण यह शुभानुबंधा निर्जरा कहलाती है
द्रव्यांश Parts of a matter. द्रव्य का एक भाग उत्पाद व्यय घ्रौव्य रूप परिवर्तन पूरे द्रव्य में होता है किसी एक अंश में नहीं।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चंड A great writer, A king of Rakshasa descendant. ई.पू,३ का एक प्राकृत विद्वान् जिन्होंने प्राकृत लक्षण नाम का एक प्राकृत व्याकरण लिखा, राक्षस वंश का एक राजा ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समयसार नाटक टीका – Samayasaara Naataka Teekaa. Name of a commentary book written by Pandit Sadasukh. पं. सदासुख (ई. 1795-1867) कृत समयसार नाटक पर लिखी गई टीका।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भाष्य सूक्ति – Bhasya Sukti. Name of a treatise written by jagadish Bhattacharya. वैशेषिक दर्शन सूत्र पर लिखी जगदीश भट्टाचार्य कृत एक व्रत्ति का नाम “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यज्ञगुप्त –Yagyagupta. Name of the 49th chief disciple of Lord Rishabhdev. तीर्थंकर ऋषभदेव के 49वें गणधर का नाम”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विसर्जन –Visarjana. Completion, Sending deities back with respect. समापन, पूजा के ५ अंगों में एक अंग, जो पूजा की समाप्ति पर किया जाता है ” इसमें आगन्तुक देवों को आदरपूर्वक अपने-अपने स्थानों पर जाने के लिए प्रार्थना की जाती हैं “
द्रव्य बंध Physical binding, Physical bondage. योग और कषायों के निमित्त से कर्म वर्गणाओं का आत्मा के प्रदेशों के साथ परस्पर मिल जाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
घनान्गुल Cubic finger. अंगुल के घन को घनान्गुल कहते हैं, जिसमें लम्बाई , चौड़ाई एवं मोटाई विवक्षित रहती हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समयसार (टीका) – Samayasaara (Teekaa). The commentary books on samayasar treatise written by 1. Acharya Amritchandra 2. Acharya Jaisen etc. आचार्य अमृतचन्द्र (ई. 905-955) द्वारा कृत आत्मख्याति संस्कृत टीका, आचार्य जयसेन (ई. श. 12-13) द्वारा कृत तात्पर्यवृत्ति संस्कृत टीका, पं. जयचंद छाबड़ा (ई. 1807) कृत आत्मख्याति वचनिका हिन्दी टीका, आचार्य श्री ज्ञानसागर (आचार्य श्री…