जयवती!
जयवती The mother’s name of first Baldev ‘Vijay’. प्रथा बलदेव विजय की माता का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
जयवती The mother’s name of first Baldev ‘Vijay’. प्रथा बलदेव विजय की माता का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == तप : == जस्स अणेसणमप्पा तं पि तवो तप्पडिच्छगा समणा। अण्णं भिक्खमणेसणमध ते समणा अणाहारा।। —प्रवचनसार : ३-२७ परवस्तु की आसक्ति से रहित होना ही, आत्मा का निराहाररूप वास्तविक तप है। अस्तु, जो श्रमण भिक्षा में दोषरहित शुद्ध आहार ग्रहण करता है, वह निश्चय दृष्टि से अनाहार (तपस्वी)…
जयरामा The mother’s name of Jain Lord Suvidhinath (Pushpad antnath). सुविधिनाथ (पुष्पदन्तनाथ) भगवान की माता का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वक्षेत्र – Svaksetra. Occupied space of matters.एक द्रव्य जितने क्षेत्र को रोक करके रहता है वह उस द्रव्य का स्वक्षेत्र है और अन्य क्षेत्र उसका पर क्षेत्र है।
जय जिनेन्द्र A greeting word pronounced in Jaina community. जैनों में परस्पर विनय और प्रेमभाव प्रकट कर ने के लिए जयजिनेन्द्र शब्द बोला जाता है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्याद् नास्ति अवक्तव्य – Syaadasti Naasti Avaktavya. The 6th Bhang of Saptbhangi-exposition of nature of the substance in the aspect of negation & indescribability.सप्तभंगी का छठवां भंग-द्रव्य परचुष्टय की अपेक्षा कथ्ंाचित् नास्तिरुप है और वही द्रव्य स्वचतुष्टय व परचतुष्टय की अपेक्षा युगफद् कथन न किए जाने से कथंचित् अवक्तव्य है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्यात्परम – Syaatparama. Exposition of soul in the aspect of steadiness.परिणामिक भाव अर्थात् स्वभाव मे अचलवृत्ति की अपेक्षा जीव का कथन।
जघन्य वर्गणा Lowest aggregate of Karmic molecules. जघन्य वर्ग के समूह का नाम जघन्य वर्गणा है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहदेव – Sahadeva. One of the 5 Pandavas. रानी माद्री व पाण्डु का पुत्र, 5वां पांडव । अंत में दीक्षा धारण की, दुर्योधन के भानजे द्वारा शत्रु´जयगिरि पर घोर उपसर्ग होने पर समतापूर्वक देह त्याग कर सर्वार्थसिद्धि स्वर्ग में गये ।