चित्तप्रसाद!
चित्तप्रसाद Auspicious observances. शुभोपयोग- दान , पूजा , व्रत , शील आदि शुभ राग तथा चित्तप्रसाद रूप परिणाम, शुभ है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चित्तप्रसाद Auspicious observances. शुभोपयोग- दान , पूजा , व्रत , शील आदि शुभ राग तथा चित्तप्रसाद रूप परिणाम, शुभ है ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
दुर्जन A villain, scoundrel, Cruel. दुष्ट, दुराचारी व्यक्ति। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
चक्रपुरी Name of the capital of Gandha country in Videh (region). अपर विदेह के गंधा नामक देश की राजधानी ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पृष्ट – Sprasta. Touched.स्पर्ष किया हुआ, प्राप्यकारी या छूकर-भिड़कर जाना हुआ (चक्षु इन्द्रिय अप्राप्यकारी है, क्योकि वह स्पृष्ट रुप से पदार्थ को ग्रहण नही करती, शेष 4 इन्द्रिय प्राप्यकारी है)।
छत्रपति A poet who wrote many books like Dvadashan-upreksha, Udyamprakash etc. कोका (मथुरा) के एक कवि (वि. १९१६ पौष शुक्ल १) जिन्होंने द्वादशानुप्रेक्षा , उद्यमप्रकाश आदि रचनाएं की ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्षनानुयोगद्वार – Sparssananuyodgdvaara. A type of Anuyogdwar (disquisition door) pertaining to the description of past & present of a matter (reg. touching).जो भूतकाल मे स्पर्ष किया है और वर्तमान मे स्पर्ष किया जा रहा है वह स्पर्षन कहलाता है। सत् संख्या और क्षेत्र रुप द्रव्यो के अतीतकाल, विशिष्ट वर्तमान स्पर्ष का स्पर्षनानुयोग वर्णन करता…
दिव्यभूमि The assembly land of Lord Arihant. स्वाभाविक भूमि से एक हाथ ऊंची समवसरण की भूमि , इसके एक हाथ ऊपर कल्पभूमि होती है। हरिवंशपुराण के आधार से यह व्यवस्था मानी है तथा तिलोयपण्णत्ति में एक हाथ ऊपर से एक- एक हाथ ऊंची बीस हजार सीढि़यां मानी है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == स्व-पर : == परद्रव्यात् दुर्गति:, स्वद्रव्यात् खलु सुगति: भवति। इति ज्ञात्वा स्वद्रव्ये, कुरुत रिंत विरतिम् इतरस्मिन्।। —समणसुत्त : ५८७ परद्रव्य अर्थात् धन—धान्य, परिवार व देहादि में अनुरक्त होने से दुर्गति होती है और स्वद्रव्य अर्थात् अपनी आत्मा में लीन होने से सुगति होती है। ऐसा जानकर स्वद्रव्य में…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्निग्ध – Snigdha. Greasy, oily, lubricous.चिकना या चिक्कणपना।