छहढाला!
छहढाला A book written by Pandit Daulatram – II. पं दौलतराम – II (ई. सन् १७९८-१८६६) द्वारा रचित एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
छहढाला A book written by Pandit Daulatram – II. पं दौलतराम – II (ई. सन् १७९८-१८६६) द्वारा रचित एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वश्यामा – Sarvasyaamaa. Mother’s Name of Lord Anantnath. तीर्थकर अनंतनाथ की माता, अपरनाम जयश्यामा ।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पन्नालाल:A Pandit who wrote number of books. एक पंडित (ई0 1770-1840), उत्तरपुराण व राजवार्तिक की भाषा वचनिकाओं तथा विद्वद्जन बोधक आदि के कर्ता ।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == निर्जरा : == बंधपदेशग्गलणं निज्जरणं इदि जिणेहिं पण्णत्तं। जेण हवे संवरणं तेण दुणिज्जरणमिदि जाणे।। —वारस अणुवेसवा : ६६ बंधे हुए कर्म—प्रदेशों के क्षरण को निर्जरा कहा जाता है। जिन कारणों से संवर होता है, उन्हीं कारणों से निर्जरा होती है। यथा महातडागस्य, सन्निरुद्धे जलागमे। उत्सिंचनया तपनया, क्रमेण शोषणा…
छद्मस्थ वीतराग Detached, non-omniscient saint at the 11th-12th stage of spiritual development. ग्यारहवें-बारहवें गुणस्थान वाले मुनि छद्मस्थ वीतराग कहलाते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वपरित्याग – Sarvaparitayaaga. Renunciation of all (on the pathe of salvation). उपसर्ग मार्ग; शुद्धात्मा के सिवाय अन्य जो कुछ भी बाह्यअभ्यन्तर परिग्रह रूप है, उस सर्व का त्याग ही उत्सर्ग है। निष्चय नय, सर्वपरित्याग, परमोपेक्षा संयम, वीतरागचारित्र, शुद्धोपयोग ये सब एकार्थवाची है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भगवती आराधना – Bhagavati Aradhana. Name of a book written by Achrya Shivakoti. आचार्य शिवकोटि (ई,श. १ ) कृत एक ग्रंथ ” इसमें जैन साधुओं की चर्या एंव सल्लेखना विधि का विस्तार से वर्णन है “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == जीवात्मा : == ववहारणयो भासदि, जीवो देहो य हवदि खलु इक्को। ण दु णिच्छयस्स जीवो, देहो य कदापि एकट्ठो।। —समयसार : २७ व्यवहार दृष्टि (नय) से जीव (आत्मा) और देह एक प्रतीत होते हैं किन्तु निश्चय दृष्टि से दोनों भिन्न हैं, कदापि एक नहीं।
चैत्यालय A type of temple without having Kalash at the top of dome. ऐसा मंदिर जिसके शिखर पर कलश न हो ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वज्ञसिद्वि – Sarvagyasiddhi. Name of a book written by a saint Anantkirti. अनंतकीर्ति द्वारा रचित वृहत् तथा लधु सर्वज्ञसिद्वि ग्रंथ। समय ई.श. 8 ।