चारित्रभक्ति!
चारित्रभक्ति A composition written by Kundkund-Pujyapad Acharya. श्री कुंदकुंद एवं पूज्यादि आचार्य कृत संस्कृत -प्राकृत की १० भक्तियों में एक भक्ति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चारित्रभक्ति A composition written by Kundkund-Pujyapad Acharya. श्री कुंदकुंद एवं पूज्यादि आचार्य कृत संस्कृत -प्राकृत की १० भक्तियों में एक भक्ति ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्ष स्वामित्व विधान – Sparssana Svaamitva Vidhaana. A type of Anuyogdwar (disquisition door).देखे- स्पर्ष अंतर विधान।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेषसम श्रोता–Meshsam Shrota. A type of silly listener. श्रोता का एक प्रकार, जो मेढ़े के समान टकटकी लगाकर देखते हुए सुनता है किन्तु अज्ञानतावश कुछ ग्रहण नहीं कर पाता”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्पर्षन – Sparssana. Touching, the sense of touch.5 इन्द्रियो मे प्रथम इन्द्रिय। शीत, उष्ण आदि का ज्ञान इसी से होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शैल – Shaila. A rock, a crag (mountain), Another name of Sumeru mountain. चट्टान, घातिया कर्मो की चतुस्थानीयअनुभाग शक्ति का उदाहरण, सुमेरु पर्वत का अपरनाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्नातक – Snaataka. Omniscients (those who have destroyed all 4 destructive karmas).निग्र्रन्ध साधुओ के 5 भेदो मे एक भेद है। जिन्होने 4 धातिया कर्मों का नाष कर दिया है। उन केवलियो (13वे एवं 14वे गुणस्थानवर्ती) को स्नातक कहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिर नामकर्म प्रकृति – Sthira Naamakarma Prakrti. Physique making karmic nature causing physical stability & strength while fasting or observing any austerity.जिस कर्म के उदय से उपवास आदि तपक रने पर शरीर मे वात, पित्त व कफ की स्थिरता बनी रहती है और शरीर कमजोर या अशक्त नही होता है उसे स्थिर नामकर्म प्रकृति…
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवर्त – Vivarta. Movement, Cyclone, Wandering. भंवर, चारों ओर घूमना, परिवर्तन ” परिणाम या परिणमन को विवर्त कहते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्थिति धात – Sthiti Ghaata. Destruction of karmic time duration.अवकर्षण। आयु को छोड़कर शेष कर्मों का अनुभाग के बिना भी स्थितिधात होता है और आयु को छोड़कर शेष कर्मों का स्थितिधात के बिना भी अनुभागधात होता है।