धर्म अनुप्रेक्षा!
धर्म अनुप्रेक्षा Contemplation of religion. धर्म के स्वरूप का बराबर चिंतन करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
धर्म अनुप्रेक्षा Contemplation of religion. धर्म के स्वरूप का बराबर चिंतन करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] परमार्थ बाह्म:Saint, who does not have the quality of differentiating self (Soul) & other.साधु जो भेदज्ञान न होने के कारण परमार्थ बाहय कहलाते है।
धम्मपरिक्खा A book written by Harishena. धर्मपरिक्षा ; ई. सन् 987 में हरिषेण कृत एक ग्रंथ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सादृष्य प्रत्यभिज्ञान – Saadrsya Pratyabhijnnaana. Resemblance, similarity. स्मृति और प्रत्यक्ष के विषय भूत पदार्थों मे सादृश्यता दिखाते हुए जोड़ रुप ज्ञान का होना। जैसे यह गौ गवय के समान है।
धनदेव Name of the 6th chief disciple of Lord Rishabh-anath, The son of Kuberdatta. ऋषभनाथ के छठे गणधर एक वैश्य कुबेर दत्त का पुत्र।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सातवीं पृथ्वी – Saataveen Prthivee. The 7th hellish earth. महातमः प्रभा नाम की नरक पृथिवी, यह 8 हजार योजन मोटी है। इस पृथिवी से एक राजु नीचे लोक का अंत है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवानुगामी – Bhavanugami. A type of clairvoyance (remains with one after transmigration). अनुगामी अवधिज्ञान का एक भेद; जो अवधिज्ञान उत्पन्न होकर उस जीव के साथ अन्य भव में जाता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विर्याचरण –Viryacarana Conduct according to the capability. सामथ्र्य के अनुसार आचार का पालन करना “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृगचारित– Mragcharit. Unrestrained saints (who make decisions by themselves). जो साधु अकेले ही स्वच्छंद रीती से विहार आदि करते है”
चरणानुयोग गृहमेध्यनगाराणां चारित्रोत्पत्तिवृद्धिरक्षाङ्गम्। चरणानुयोगसमयं सम्यग्ज्ञानं विजानाति।।४५।। अर्थ-सम्यग्ज्ञान ही गृहस्थ और मुनियों के चरित्र की उत्पत्ति, वृद्धि और रक्षा के अंगभूत चरणानुयोग शास्त्र को जानता है अर्थात् जिसमें श्रावक और मुनिधर्म का वर्णन किया जाता है, वह चरणानुयोग है। अथवा An Anuyog (a division of particular treatises) dealing with principles of conduct prescribed for the householders…