ईर्या!
ईर्या Movement, Manner of moving. गति गमन योग।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सहसा निक्षेप – Sahasaa Nikshepa. Sudden installation of something due to some fear etc. निक्षेपाधिकरण के 4 भेदों में एक भेद । यकायक किसी भय से या किसी अन्य कार्य करने की शीघ्रता से वस्तु को रख देना । यह अजीवाधिकरण आस्रव का एक कारण है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रयोग्य लब्धि- सम्यग्दर्षन की प्राप्ति में आधारभूत 5 उब्धियों में से चतुर्थ लब्धि, सर्व कर्मो की उत्कृश्ट स्थिति और उत्कृश्ट उनुभाग को घात करके अंतःकोड़ाकोडी स्थिति और द्विस्थानीय अनुभाग में स्थित कर देना। PrayogyaLabdhi- A type of attainment (Labdhi) before getting Samyakdarshan, experimental competency attainment
उदयसेन Name of the disciple of ‘Acharya Gunsen-I’. गुणसेन प्रथम के शिष्य तथा नरेन्ट्रसेन के साधर्मी (ई.1098)। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशेष स्वभाव – Vishesha Svabhava. A particular nature of matters (like conscious-ness & unconsciousness etc.). स्वभाव के दो भेदों में एक भेद; चेतन, अचेतन, मर्त, अमर्त आदि १० स्वभाव द्रव्यों के विशेष स्वभाव हैं “
ऊर्ध्वगुरूत्व Upward attractive force. किसी चीज को ऊपर की तरफ ले जाने की सामर्थ्य उर्ध्वगुरूत्व है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रातिक देव- एक प्रकार का व्यंतरजातीय देव। Pratika Deva- A type of peripatetic deities
द्विदल Grains (pulse etc.) having two opposite faces alike are called non-edible when mixed with raw milk & curd (prepared from raw milk) etc. दो दल वाले धान्य आदि को कच्चे दूध या कच्चे दूध से निर्मित दही -छाछ के साथ मिलाने पर वह अभक्ष्य द्विदल कहलाता है। वर्तमान में कुछ लोग गर्म प्रासुक दूध…
[[श्रेणी:शब्दकोष]][[श्रेणी:पुत्र]] प्राणत – कल्प स्वर्गो में 14 वा कल्प ;स्वर्गद्ध Pranata- The 14th heaven
द्विचरम देही Deities having two human births (last two life-courses) before getting salvation). जो देव अंतिम दो बार मनुष्य के भव लेकर निश्चित रूप से मोक्ष जाते हैं। वे द्विचरम देही कहलाते हैं।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]