लो!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लो –Lo.: A symbolic expression of the volume of universe. घनलोक की सहनानी “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लो –Lo.: A symbolic expression of the volume of universe. घनलोक की सहनानी “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पामिच्छ – Pamiccha. A fault of heritage. वसतिका का एक दोष; अल्प ॠण लेकर और उसका सूद देकर अथवा न देकर संयतों के लिए वसतिका लेना “
इंद्र(देव) Celestial deity, Lord of deities. देवों का राजा आज्ञा-ऐश्वर्य से युक्त देवों के स्वामी।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लिप्त –Lipta.: A kind of impurity of hands etc. while food offering to the saints. आहार से सम्बंधित दातार का एक दोष; गेरू ,हरताल,खड़िया,चावल आदि का चून, कच्चा शाक इसमें लिप्त हाथ तथा पात्र अथवा अप्रासुक जल से भीगे हाथ या बर्तन से साधु को आहार देना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पापप्रकृति – Papaprakrti. Demeritorious Karmic nature (obscurring karmic nature of knowledge etc.), which are 82 in number. ज्ञानावरण की ५, अन्तराय की ५, दर्शनावरण की ९, मोहनीय की २६ आदि कुल ८२ प्रक्रतियां पापप्रक्रतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक बंधन –VaikriyikaBandhana. A Karmic nature related to the binding of Karmic molecules, of transformable body. नामकर्म, जिसके उदय से वैक्रियिक शरीर योग्य वर्णणाओं का परस्पर बंध हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पादतप:Particular austerity like to stand on single foot etc.कायक्लेश, एक पैर से खड़े होना आदि तप करना।
त्रिपुर A country of Bharat kshetra Vindhyachal (region). भरत क्षेत्र विन्ध्यांचल (विजयार्ध) का एक देश। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संसार- Sansaara. World, Wordly wandering through birth & death cycle. कर्म के विपाक के वश से आत्मा को भवांतर की प्राप्ति होना संसार है (चारों गतियों में भ्रमण होना) “