शास्त्रसार समुच्चय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्रसार समुच्चय – Shaastrasaara Smuchchaya. Name of a book written by Maghnandi Yogindra. माघनंदि योगीन्द्र (ई. श. 12 उत्तरार्द्ध) कृत 196 संस्कृत सूत्र प्रमाण सिद्धांत ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शास्त्रसार समुच्चय – Shaastrasaara Smuchchaya. Name of a book written by Maghnandi Yogindra. माघनंदि योगीन्द्र (ई. श. 12 उत्तरार्द्ध) कृत 196 संस्कृत सूत्र प्रमाण सिद्धांत ग्रंथ “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय विनय – Nishchaya Vinaya. Reverence with supreme purity of soul. शुद्धात्मा के प्रति विनम्रता, लीनता एवं शुद्धि निश्चय विनय है “
तपोनिधिव्रत A vow of fasting for 1057 days with particular procedure. एक व्रत का नाम जिसमें 1057 दिन विधि पूर्वक व्रत किये जाते हैं। विशेष देखें – हरिवंशपुराण ग्रंथ में।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शामकुंड – Shaamakunda. Name of a commentator of first 5 parts of ‘Shatkhand’. षटखण्ड आगम के 5 खण्डों पर पद्धति नामक टीका के रचयिता ” समय ई.श. 3 का उत्तरार्ध “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निश्चय निर्विचिकित्सा – Nishchaya Nirvichikitsaa. Tending towards knowing oneself or soul perfectly. मुनि अवस्था में समस्त राग-द्वेष आदि विकल्प रूप तरंगों का त्याग करके निर्मल आत्मानुभव लक्षण की निज शुद्धात्मा में स्थिति करना “
तन्मनोहरांगनिरीक्षण त्याग Renunciation of watching the beauty of women. ब्रहाचर्य व्रत की दूसरी भावना स्त्रियों के मनोहर अंगों को देखने का त्याग। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
उपाय-उपेय भाव Goal with means . जो साधक रूप है वह उपाय है और जो सिद्धरूप है वह उपेय है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तदुभय प्रत्ययिक जीव बंध Sentiments devolped through the fruition & prematured fruition of karmas. जीव भाव बंध का एक भेद कर्मां के उदय और उदीरणा से तथा उनके उपशम से जो भाव उत्पन्न होते हैं (अर्थात् जीव के क्षयोपशमिक भाव)। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लौकिक मूढ़ता–Laukika Mudhataa.: See- Loka Mudhataa. देखें –लोक मूढ़ता “
आहार Food or Karmic intake. भोजन-खाद्य, स्वाद्य लेह्य, पेय चार प्रकार का है। अथवा नोकर्म वर्गणा आहारक, भाषा व मनोवर्गणा का ग्रहण करना आहार है। इनको ग्रहन करने वाले आहारक कहलाते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]