इंद्रिय!
इंद्रिय Organs of sense. जो सूक्ष्म आत्मा के अस्तित्व का ज्ञान कराने में सहायक हो। इन्द्रिय के पाँच भेद हैं-स्पर्शन घ्रान चक्षु और कर्ण।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
इंद्रिय Organs of sense. जो सूक्ष्म आत्मा के अस्तित्व का ज्ञान कराने में सहायक हो। इन्द्रिय के पाँच भेद हैं-स्पर्शन घ्रान चक्षु और कर्ण।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
द्रव्य मन Objecive mind. जो हृदय स्थान में आठ पँखुडी के कमल के आकार वाला है, तथा अंगोंपांग नाम कर्म के उदय से मनोवर्गणा के स्कन्ध से जो उत्पन्न हुआ है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आप्तोपज्ञ Auspicious preachings of Lord-Arihant. सच्चे देव-आप्त का कहा हुआ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
द्रव्य निर्विचिकित्सा Not to hate the dirty-bodied Jain saints. दिगम्बर जैन साधुओं के मलिन शरीर को देखकर ग्लानि न करना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
द्रव्य कर्म Gyanavaran etc. 8 Karmas are called Dravya Karma. ज्ञानावरण आदि आठों कर्मों को द्रव्य कर्म कहते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
इंद्र त्याग (क्रिया) An auspicious and sacred act (reg. peaceful renouncement of all heavenly splendours by Indra for holy death). गर्भान्वयादि क्रियाओं में से एक क्रिया इन्द्र द्वारा आयु के अन्त में शांतिपूर्वक समस्त वैभव का त्याग कर तथा देवों को उपदेश देकर देवलोक से च्युत होना। यह इन्द्रपद त्याग क्रिया है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
द्रविड़ाचार्य Name of an Acharya promotor of Vedant literature. वेदांत साहित्य के प्रवर्तक एक आचार्य।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रीदत्त – Shreedatta. Name of a great Acharya of the basic lineage of Lord Mahavira, Name of another Acharya-the writer of ‘Jalp Nirnay Granth’. भगवान महावीर की मूल परम्परा में लोहाचार्य के बाद हुए एक अंगधारी आचार्य (समय ई. 38-58)” एक प्रसिद्ध तार्किक दिगम्बराचार्य, जल्प निर्णय ग्रन्थ के रचयिता (समय-ई. श. 4 का उतरार्ध)…
दोष- दषर्शन Viewing defects of one. अवगुणों और गलतियों को देखना।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]