पुंगीफल!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुंगीफल – Pumgiphala. The betel nut. सुपारी “
उदयादि अवस्थित गुणश्रेणी आयाम A kind of stable geometric progression length related to Karmic destruction. परिणामों की विशुद्धि की वृद्धि से अपवर्तनाकरण के द्वारा उपरितन स्थिति से हीन करके अन्तर्मुहूर्त काल तक प्रतिसमय उत्तरोत्तर असंख्यातगुणित वृद्धि के क्रमसे कर्म प्रदेशों की निर्जरा के लिये जो रचना होती है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मिश्र दोष–Mishra Dosh. A fault of food–donation to Jain saints. आहार के 16 उद्गम दोषों में एक दोष; प्रासुक तयार हुआ आहार अन्यवेषधारिओ तथा ग्रहस्थी केसाथ–साथ सयमीसाधुओ को भी देने का संकल्प करना मिश्र दोष है”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पिसनहारी मढिया – Pisanahari Marhiya. A Jain temple at Jabalpur city (M.P.). जबलपुर नगर (म.प्र.) का एक जैन मंदिर, जिसे एक महिला ने आटा पीस-पीसकर उपार्जित धन से बनवाया था “
देवभाव A chief disciple of Lord Rishabhdeva. भगवान् ऋषभदेव के चैरासी गणधरों में एक गणधार।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म साम्पराय चारित्र – Sukshma Saamparaaya Chaaritra. Conduct with minute passions (Sukshma Saamparaaya reg. purity of soul). दसवें गुणस्थान में होने वाला चारित्र इस चारित्र में कषाय अति सूक्ष्म हो जाती है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पितृकायिक – Pitrkayika. A type of deities. आकाशोपपन्न देवों के १२ भेदों में एक भेद “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूक्ष्म ऋजुसूत्र नय – Suksama Rijusutra Naya. A standpoint related to the minute acceptance of something. ऋजुसूत्र नय के दो भेदों में एक भेद । जो नय एक समयवर्ती सूक्ष्म अर्थ प्रर्याय (अवस्थायी पर्याय) को ग्रहण करें ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विद्यानंद (आचार्य) – Vidyannada (Acharya). 1) Name of a great Acharya, the writer of great treatises (Ashtasahasri etc.). 2) Name of a saint, the disciple of Acharya Shri Deshbhushan Maharaj . 1) अष्टसहस्त्री, आप्त परीक्षा, श्लोकवार्तिक, प्रमाण मीमांसा आदि अनेक ग्रन्थों के कर्ता एक आचार्य ” समय – ई. स. ७७५ –…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुषमा काल – Sushamaa Kaala. Pleasant period of woridily cycle ( the 2nd of Avasarpini Kal & the 5th of Utsarpini Kal According to Jaina Philosoph) अवसर्पिणी के द्वितीय काल और उत्सर्पिणी के पंचम काल का नाम । इसमें मध्यम भाग भूमि रहती हैं एवं इसका समय 3 कोड़ाकोड़ी सागर का है। इस काल…