त्रिपंचाशत् भाव!
त्रिपंचाशत् भाव Fifty three types of subsidential disposition. जीवों के औपशमकादिभाव जो 53 प्रकार के हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
त्रिपंचाशत् भाव Fifty three types of subsidential disposition. जीवों के औपशमकादिभाव जो 53 प्रकार के हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शरीर पर्याप्ति – Sharera Paryaaypti. Formation of assential elements of body. पर्याप्ति के छः भेदों में दूसरा भेद, जिन परमाणुओं को खल्रूप परिणमाया था उनको हाड, रस,रुधिर आदि रूप परिणमावने की कारण भूत जीव की शक्ति की पूर्णता को शरीर पर्याप्ति कहते हैं “
देशविरत Partial vow, Partial abstinence. पांचवां गुणस्थान , यहां श्रावक की 11 प्रतिमाओं का पालन होता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आपवादिक लिंग White clothed Digambar Jain ascetics etc. परिग्रह सहित भेष या चिन्ह, आर्यिका (उपचार महाव्रती) ऐकल क्षुल्लक आदि जैनधर्म में दो मार्गं हैं- उत्सर्ग मार्ग और अपवाद मार्ग।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूपपरावर्तन विघा – रूप परिवर्तन करने में समर्थ विद्या। Rupaparavartana Vidya-A type of supernatural power of changing body
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूक्षाणु – रूक्ष गुण वाला अणु। इसका दो अधिक गुण वाले विपरीत अणुओं के साथ बंध होता है। Ruksanu-Particles with having property of roughness
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सकलेन्द्रिय – Sakalendriya. All five sensed beings. पंचेन्द्रिय जीव सकलेन्द्रिय कहलाता है अर्थात् जिसके पांचो इन्द्रिय है “
दीर्घदर्शी One foresighted, discerning or learned. दूरदर्शी दूर तक की बात सोचने वाला।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
देवमंत्री Ruling deity of 6th Lunar ‘Pushya’. छठवें नक्षत्र ‘पुष्य’ के अधिपति देवता का नाम।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसायिक – रस आसव आदि में उत्पन्न होने वाले जीव। Rasayika-Micro beings taking birth in impure liquids