बाह्य करण!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य करण – Bahya Karana. External cause causing certainty for the comple-tion of any work. कार्य सिध्द में साधकतम बाह्य निमित जिसके होने पर कार्य की सिध्द निशिचत होती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाह्य करण – Bahya Karana. External cause causing certainty for the comple-tion of any work. कार्य सिध्द में साधकतम बाह्य निमित जिसके होने पर कार्य की सिध्द निशिचत होती है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैराग्य –Vairagya Aversion from worldly life, to be free from all worldly attachments. संसार शरीर तथा भोगों से विरक्त भाव अथवा उदासीन या शांतभाव “
उत्पन्न स्थान सत्तव Reforming of Karmas by reducing Karmic Sthiti. पूर्व पर्याय में जो उद्वेलना व बिना उद्वेलना से सत्तव हुआ है उसका उत्तर पर्याय में उत्पन्न होना। वहाँ उत्तर पर्याय में उस सत्तव को उत्पन्न स्थान में सत्तव कहा है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरास्रव – Niraasrava. Devoid of attachments, ill-feelings etc. सम्यग्दृष्टि जीव अर्थात् राग, द्वेष और मोह से रहित होना निरास्रव कहलाता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकानुवृत्ति –Lokaanuvrtti.: A kind of modesty. सामान्य विनय का एक भेद ;किसी पुरुष के अनुकूल बोलना तथा देश व काल योग्य अपना द्रव्य देना लोकानुवृत्ति विनय है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निरतिशय – Niratishaya . Ordinary, without any wonder or transcendent. अतिशय रहित, साधारण “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकमूढ़ता –Lokmoodhtaa.: False tradition or false ritualistic belief (superstition). लोक में धर्म के नाम से मणि हुई मूढ़ता या अन्धविश्वास “जैसे नदी या समुद्र में स्नान करना , पर्वत करना , बालू –पत्थरों का ढेर लगाना , अग्नि में जलना आदि को धर्म समझकर करना “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पांशुमूल – Paanshumoola. A city situated in the south of Vijayardh mountain. विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लोकप्रतर – Lokapratar. A very large imaginary mathematical quantity. जगत श्रेणी के वर्ग को जगत्प्रतर कहते हैं अर्थात (7)^2=49 “