चित्रवाहन!
चित्रवाहन Name of the 10th Chakravarti (emperor) of future time. भावी शलाका पुरूष ; १०वें चक्रवर्ती का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चित्रवाहन Name of the 10th Chakravarti (emperor) of future time. भावी शलाका पुरूष ; १०वें चक्रवर्ती का नाम ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सम्मिश्र – Sammishra. Mixed, an infraction of vow of limiting consumables & re-consumables i.e. eating of cooked food mixed with raw one etc. भोगोपभोग परिमाण व्रत का एक अतिचारः सचित्त से मिली हुई वस्तु को खाना।
चैत्यवंदना Reverential visits of temples with self-involvement. आत्माधीन होजकर जिनबिम्ब आदिकों की वंदना करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्त्यानगृद्वि कर्म प्रकृति – Styangraddhi Karma Prakrti. A karmic nature causing power of committing abnormal activity in the state of somnambulism.दर्शनावरण कर्म की उत्तर प्रकृतियो मे एक प्रकृति, जिसके निमित्त से स्वप्न अवस्था मे विशेष श़िक्त प्रकट होती है और जीव सोता हुआ भी भयानक असाधारण कार्य करता है उसे स्तयानगृद्वि निद्र कहते है।
चकवा A large orange-brown duck, the Sheldrake, the significant symbol of Lord Sumatinath. सुमतिनाथ भगवान का चिन्ह।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
चारू Elegant, Graceful, A king of Kuru dynasty. प्रिय , शानदार , कुरुवंश का एक राजा ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवेग – Sanvega. Mental agitation, Instinct, To have fear with the sufferings of wordly life. मन में उठने वाली भावना, अन्तःप्रेरणा, सम्यग्दर्शन के चार गुणों में से एक-संसार के दुःखों से नित्य डरते रहना अथवा पंचपरिवर्तन रूप संसार से भय उत्पन्न होना “
चेतनपुद्गल धमाल A book written by Buchiraj in 1532. बूजिराज द्वारा ई.सन् १५३२ में अर्चित एक ग्रन्थ ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति निरन्तर – Prakrti Nirantara. Karmic nature with continuous binding. कर्म प्रक्रतियां जो अंतर्मुहूर्त काल तक निरंतररूप से बंधती हैं वह निरंतर बंधी प्रक्रतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संचारगति – Sanchaaragati. Speed transmission or movement. गति के अनेक भेदों में एक भेद “