छेदप्रायश्र्चित!
छेदप्रायश्र्चित A type of repentance. प्रायश्र्चित का एक भेद ; दिवस , पक्ष , महीना आदि की प्रव्रज्या का छेद करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
छेदप्रायश्र्चित A type of repentance. प्रायश्र्चित का एक भेद ; दिवस , पक्ष , महीना आदि की प्रव्रज्या का छेद करना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
णमोंकार मंत्र पूजा Name of a worshipping hymn written by Ganini Shri Gyanmati Mataji based on the eulogy of Panchparmeshthi (Arihant, Siddha, Acharya, Upaddhyay & Sadhu). गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी (ई.श.20 उत्तरार्द्ध) द्वारा लिखित पंचपरमेष्ठियों की भक्तिपर आधारित एक पूजा, इसे प्रतिदिन एंव णमोकार वृत में करने की परंपरा है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसना इन्द्रिय – 5 इन्द्रियों में दूसरी इन्द्री जिव्हा। जिसके द्वारा स्वाद का ज्ञान होता है। Rasana Imdriya-Tongue, sensory organ of taste
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विधिसाधक हेतु – Vidhisadhaka. Hetu. Cause proving the existence or reality. जो हेतु किसी बात के अस्तित्व को सिध्द करे “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वयश – Sarvayasha. Name of the 25th chief disciple of Lord Rishabhdev भगवान ऋषभदेव के 25 वें गणधर “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रसगारव – छ रस सहित भोजन मिलने का अभिमान। Rasagarava- pride of having tasty food
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वतोभद्र विधान – Sarvatobhadra Vidhaana. A composition of worshipping hymn composed by Ganini Gyanmati Mataji. जैन आगम में वर्णित पाॅंच प्रकार की पूजाओं में से एक; यह सर्वतोभद्र विधान पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी द्वारा सन् 1987 में लिखित सबसे बडा विधान है। इसमें 101 पूजाएॅं है, इसको लिखने में 40 छन्दों का प्रयोग…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सर्वजय – Sarvajaya. Name of the son of Vidyadhar Vinami. विद्याधर विनमि का पुत्र।