रूचकवर!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूचकवर – मध्य लोक का 13 द्वीप व सागर। Rucakavara-The 13th island and ocean of middle universe
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूचकवर – मध्य लोक का 13 द्वीप व सागर। Rucakavara-The 13th island and ocean of middle universe
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वनिमित्तक उत्पाद – Svanimittaka Utpaada. Modification or change due to own causes (reg. any matter).स्व के निमित से होने वाला परिणमन; प्रत्येक द्रव्य मे अगुरुलधु गुण का छह स्थान पतित हानि और वृद्वि के द्वारा वर्तन होता रहता है। अतः इनका उत्पाद और व्यय स्वभाव से होता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रायमल – एक पं समयसार टीका लाटी संहिता हनुमान चरित्र आदि ग्रथों के कत्र्ता। इन्ही की समयसार कलषटीका को देखकर पे बनारसी दास ने नाटक समयसार लिखा।समय वि 1616 – 1663 Rayamala-Name of great writer of ‘samayasar bahsha Tika’ Hanumancharita etc
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति (ध्रुव – अध्रुव ) – Prakrti (Dhruva –Adhruva). Karmic nature with continuous & non-continu-ous binding. ध्रुव – अध्रुव प्रकृति; बंध व्युच्छित्ति पर्यत जिनका बंध होता रहे वह ध्रुव बंधी तथा जिनका बंध होकर रुक जाता है वह अध्रुव बंधी प्रकृतियां हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वच्छाहार – Svacchaahaara. Pure food.शुद्व सात्त्विक आहार।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भूतकांता –Bhutakanta. Name of a female beloved divinity of peripa-tetic deity ‘Svarup’. व्यंतर इंद्र ‘स्वरूप’ की देवी का नाम “
जयपुरी A city in the south of Vijayardh mountain. विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्याद्वादोपनिषद् – Syaadvaadopanisad. Name of a Book written by Acharya Somsen.आचार्य सोमसेन (ई0 943-968) कृत स्याद्वाद न्याय का प्ररुपक संस्कृत भाषाबद्व ग्रंथ।
जनादर्शन A Marathi poet and writer of ‘Shrenik Charit’, An epithet of Vishnu. मराठी कवि , श्रेणिक चरित के रचयिता (ई. १७६८) , विष्णु को भी जनादर्शन कहते हैं ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्यादवक्तव्य – Syaadavaktavya. The 4th bhang of saptbhangi-exposition of the nature of the substance in the aspect of indescribability. सप्तभंगी का चैथा भंग, द्रव्य स्वद्रव्य क्षेत्र काल भाव से और परद्रव्य क्षेत्र काल भाव से युगफद् कथन न किया जाने से कथंचित् अवक्तव्य है।