उभयशुद्धि!
उभयशुद्धि सम्यग्ज्ञान का एक अंग व्यंजन और उसके वाच्य (अर्थ) अभिप्राय की शुद्धि उभयशुद्धि है। अपरनाम तदुभयशुद्धि।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उभयशुद्धि सम्यग्ज्ञान का एक अंग व्यंजन और उसके वाच्य (अर्थ) अभिप्राय की शुद्धि उभयशुद्धि है। अपरनाम तदुभयशुद्धि।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
द्वारवंग A place, present Darbhanga district. वर्तमान दरभंगा जिला। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वशवर्तिता – Vashavartitaa.: An example of power of Karmas, fruition of Karmas causing developments of sense organs. कर्म की बलवत्ता का एक उदाहरण; नाम कर्मोदय की वशवर्तिता से इन्द्रियां उत्पन्न होती है “
आर्यनंदि Disciple of ‘Acharya Chandrasen’ and spiritual guide of Veersen ji. पंचस्तूप संघ की पट्टावली के अनुसार चंद्रासेन के शिष्य तथा वीरसेन (धवलाकार) के गुरू थे (ई.767-798)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वर्धमानक – Vardhamaanaka. Name of the dancing hall of Chakravarti (emperor) Bharatesh. चक्रवर्ती भरतेश की नृत्यशाला “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचचूलिका – Panchachoolikaa. Five subkinds of scriptural knowledge (shrutgyan). श्रुतज्ञान के 12वें दृष्टिवाद अंग प्रभेद; जलगता, स्थालगता, मायागता, रुपगता एवं आकाशगता चूलिका “
दंड समुद्घात Expansion of spaces of soul in term of 14 Rajju. केवली के समुद्घात करने का प्रथम चरण, केवली भगवान की आयु कर्म की स्थिति वेदनीय , नाम, गोत्र के बराबर करने के लिए आत्मा के प्रदेश वातवलय को छोड़कर दण्डरूप से 14 राजू तक फैल जाते हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सूर्यवंश – Suryavansha. One of the Branch of Ikshvaku Dynasty initiated from Arkkirti. इक्ष्वाकु वंश की दो शाखाओं में एक शाखा सूर्यवंश की शाखा भरत चक्रवर्ती के पुत्र अर्ककीर्ति से प्रारम्भ हुई क्योकि अर्क नाम सूर्य का है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच उदुंबर फल – Pancha Udumbara Fala. Five kinds of figs oe non-edible fruits of ficus genus class. अभक्ष्य; बड़, पीपल, उम्र, कठूमर, पाकर इनमें निरंतर त्रस जीवों की उत्पत्ति होने से अभक्ष्य है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशेष संग्रह नय – Vishesha Samgraha Naya. A word or phrase used for expressing a collec- tive form of something like herd of elephants etc. दृष्टांतों के द्वारा प्रत्येक जाति के समूह को नियम से एक वचन के द्वारा स्वीकार, करके कथन करने वाला नय ” जैसे – हाथियों का झुण्ड, घोड़ों…