प्रकृति निरन्तर!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति निरन्तर – Prakrti Nirantara. Karmic nature with continuous binding. कर्म प्रक्रतियां जो अंतर्मुहूर्त काल तक निरंतररूप से बंधती हैं वह निरंतर बंधी प्रक्रतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति निरन्तर – Prakrti Nirantara. Karmic nature with continuous binding. कर्म प्रक्रतियां जो अंतर्मुहूर्त काल तक निरंतररूप से बंधती हैं वह निरंतर बंधी प्रक्रतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संचालन – Sanchaalana. Conduction, Directing, Managing. जिन जिव प्रदेशों का चलन भ्रमण होता हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सचित्त द्रव्य शल्य – Sachitta Dravya Shalya. A type of material sting; servants etc. animate objects. द्रव्य शल्य के तीन भेदों में एक भेद; दास आदि सचित्त द्रव्य शल्य है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शूद्रवर्ण – Shudravarna. See- Shudra Varna. देखें शूद्रवंश ” शिल्प आदि से सम्बन्ध रखने वाला वर्ण “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समान खंड – Samaana Khanda. Equal parts or divisions. तुंल्य या सदृष भाग।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवृत्त-विवृत्त – Sanvrtta-Vivrtta. A type of female genital organ with having some hidden & some opened portion. योनि के 9 भेदों में एक भेद; जो योनि स्थान कुछ ढका हुआ और कुछ खुला हुआ हो “
चलित In moving state, In motion. स्पंदन , हिलना , विचलित होना या बिगड़ जाना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] समाधिरस्तु – Samaadhirastu. Auspicious blessing for the religious progress. आशीर्वाद वाचक शब्द, अर्थात् समीचीन धर्मध्यान बना रहे। यह आषीर्वाद व्रतियो के लिए साधुजन देते है।
चारित्राचरण Those who are constantly devoted in right conduct. पंच माहाव्रतों में , तीनों गुप्तियों में तथा पाँचों समितियों में अत्यंत प्रयत्नयुक्त रहने वाले ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == स्यात् : == नियमनिषेधनशीलो निपातनाच्च य: खलु सिद्ध:। स स्याच्छब्दो भणित:, य: सापेक्षं प्रसाधयति।। —समणसुत्त : ७१५ जो सदा नियम का निषेध करता है और निपात रूप से सिद्ध है, उस शब्द को ‘स्यात्’ कहा गया है। यह वस्तु को सापेक्ष सिद्ध करता है।