संवृत्त-विवृत्त!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवृत्त-विवृत्त – Sanvrtta-Vivrtta. A type of female genital organ with having some hidden & some opened portion. योनि के 9 भेदों में एक भेद; जो योनि स्थान कुछ ढका हुआ और कुछ खुला हुआ हो “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवृत्त-विवृत्त – Sanvrtta-Vivrtta. A type of female genital organ with having some hidden & some opened portion. योनि के 9 भेदों में एक भेद; जो योनि स्थान कुछ ढका हुआ और कुछ खुला हुआ हो “
गुणकीर्ति Name of an acharya saint and a poet. श्रेणिक पुराण, पद्मपुराण आदि के रचयिता एक मराठी कवि , देशीयगण के आचार्य(इ.९९०-१०४५)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मंद परिणाम :Slight consequences of passionful nature. कषायों के अनुदीर्ण प्रत्यय (उदय) से होने वाले परिणाम मंद होते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संघातन-परिशातन कृति –Samghaatana-parishaatana Kriti. Assimilation and dissociation of the molecules of body. पांचो शरीरों में से विवक्षित शरीर के पुद्गल स्कंधों का आगमन और निर्जरा का एक साथ होना संघातन- परिशातन कृति कही जाती है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सद्यजात – Sadyajaata. Immediately produced or prepared. तत्काल उत्पन्न।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == स्यात् : == नियमनिषेधनशीलो निपातनाच्च य: खलु सिद्ध:। स स्याच्छब्दो भणित:, य: सापेक्षं प्रसाधयति।। —समणसुत्त : ७१५ जो सदा नियम का निषेध करता है और निपात रूप से सिद्ध है, उस शब्द को ‘स्यात्’ कहा गया है। यह वस्तु को सापेक्ष सिद्ध करता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्धमति – Shuddhamati. Name of the 22nd Tirthankar (Jaina-Lord) of past era. भूतकालीन 22 तीर्थंकर “
[[श्रेणी: शब्दकोष]] मंगल:State of auspiciousness, name of a planet (Mars), Name of a deity of Saumnas Gajdant mountain and its summits. जो पाप रूपी मल को गलाता है अथवा जो सुख या पुण्य को लाने वाला है वह मंगल है (पंचनमस्काररूप णमोकार मंत्र समस्त मंगलो में प्रथम मंगल कहा जाता है), एक ग्रह का नाम,…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] विग्रह – Vigraha.: Quarrel,Separation. कलह, विच्छेद ” विग्रह – Vigraha.: Getting the body through transmigration. देह; नामकर्म के उदय से शरीरों के योग्य पुद्गलों का ग्रहण विग्रह कहलाता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विभाव – स्वभाव – Vibhava – Svabhava. Nature contrary to the real nature. कर्मबंध के प्रकरण में रागादि परिणाम भी अशुद्ध निश्चयनय से जीव के स्वभाव कहे जाते हैं “