रोगराहित्य!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रोगराहित्य – रोगरूपी बाधा का अभाव होना। अर्हत भगवान के देवकृत अतिषयों में एक अतिषय। समवषरण में सम्पूर्ण जीवों को रोग आदि की बाधाए नही होना। Rogarahitya-Devoid of disease, an excellence of lord Arihant
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रोगराहित्य – रोगरूपी बाधा का अभाव होना। अर्हत भगवान के देवकृत अतिषयों में एक अतिषय। समवषरण में सम्पूर्ण जीवों को रोग आदि की बाधाए नही होना। Rogarahitya-Devoid of disease, an excellence of lord Arihant
घुटुक The son of Bhim, the Pandav. पांडव भीम और हिडिम्बा का पुत्र. युद्ध में यह अश्र्वत्थामा के द्वारा मारा गया था ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सप्रदेशी द्रव्य – Sapradeshee Dravya. Matters (5 dravyas except kal (time)Dravya) occupying space points. कालद्रव्य को छोड़कर शेष 5 द्र्रव्य सप्रदेषी है। कालद्रव्य अप्रदेषी है, क्योकि वह प्रदेषो के बंध या समूह से रहित है। अर्थात् कालद्रव्य के कालाणु भिन्न-भिन्न ही रहते है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजवृत्ति – राजा का कार्य, पक्षपात हो कुल की मर्यादा, बुद्धि और अपनी रक्षा करते हुए न्याय पूर्वक प्रजा का पालन करना राजाओं की राजवृत्ति कहलाती है। Rajavrtti-Ruling duties of a king
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सप्त पदार्थ – Sapta Padaartha. See- Sapta Tattva. सप्त तत्त्व ही सात पदार्थ कहलाते है। देखे- सप्त तत्त्व।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ममकार – Mamakara. My-ness , A feeling of mine with worldly objects. आत्मा से भिन्न पर पदार्थों में मेरेपन का भाव ममकार हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्धात्माभिमुख परिणाम – Shuddhaatmaabhimukha Parinaama. Results of attention and devotion towards pure soul. शुद्ध आत्मा की ओर उन्मुख परिणाम या स्वानुभवरूप भाव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सन्निपातिक भाव – Sannipaatika Bhaava. Assembling, collection, combining (reg. temperaments). मिलना, सम्मिश्रण, विविध संचय। एक ही गुणस्थान या जीवसमास मे जो बहुत से भाव आकर एकत्रित होते है, उन भावों की सन्निपातिक संज्ञा है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == सम्यक् दर्शन : == सम्मद्दंसणलंभो वरं खु तेलोक्कलंभादो। —भगवती आराधना : ७४२ सम्यक् दर्शन की प्राप्ति तीन लोक के ऐश्वर्य से भी श्रेष्ठ है। यथार्थतत्त्व श्रद्धा सम्यक्त्वम्। —जैन सिद्धान्त दीपिका : ५-३ जीवादि तत्त्वों की यथार्थश्रद्धा (सम्यक्—विचार) करना सम्यक् दर्शन है। दर्शनभ्रष्टा: भ्रष्टा:, दर्शनभ्रष्टस्य नास्ति निर्वाणम्। सिध्यन्ति चरितभ्रष्टा:,…