तीर्थंकर-!
तीर्थंकर- संसार से पार होने के कारण को तीर्थ कहते हैं। उसके समान होने से आगम को तीर्थ कहते है, उस आगम के कर्ता तीर्थंकर है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
तीर्थंकर- संसार से पार होने के कारण को तीर्थ कहते हैं। उसके समान होने से आगम को तीर्थ कहते है, उस आगम के कर्ता तीर्थंकर है।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
धवल सेठ A wealthy person of Kaushambi city. कौशाम्बी नगर का एक सेठ, श्रीपाल को समुद्र में गिराने वाला। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रादोषिक काल- जिसमें रात का भाग है वह प्रदोश काल है अर्थात् रात के पूर्वभाग के समीप दिन का पष्चिम भाग, वह सुबह-षाम दोनों कालों में प्रदोशकाल कहलाता है। Pradosikakala- The period of Dawn and dusk
धर्मानुप्रेक्षा See – Dharma Anuprek¼å. देखें – धर्म अनुप्रेक्षा । [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आराधना कथाकोष A book written by ‘Brahmachari Nemidatta’. ब्र. नेमिदत्त(ई.1518) द्वारा रचित कथाओं का एक संग्रह।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्राणि संयम- शट् काय के जीवों की रक्षा करना। PraniSamyama- Vitality control, Life saving of all beings
धर्मलक्षण Basic characteristics of religion, Nature of a substance. सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, स्म्यग्चारित्र- ये धर्म के लक्षण हैं। वस्तु का स्वभाव भी धर्मलक्षणकहा जाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आत्मख्याति A great commentary on ‘Samaysar’ written by Acharya Amritchandra. कुंदकुंदाचार्य कृत समयसार ग्रंथ पर संस्कृत में री अमृतचंद्र आचार्य कृत टीका।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बहुप्रदेशी – काय; जो बहुप्रदेशी होता है अर्थात् 6 द्रव्यों में 5 द्रव्य (जीव, पद्गल, धर्म, अधर्म और आकाश) बहुप्रदेशी होने से अस्तिकाय है। Bahupradesi- Something multi space pointing
धर्मप्रभावना Propagation of religion. धर्म की प्रभावना करना , समुचित रीति से अज्ञानरूपी अंधकार को हटाकर जैनधर्म की महिमा को फैलाना। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]