बंध योग्य प्रकृति!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंध योग्य प्रकृति- 8 कर्मो की 120 कर्म प्रकृतियां बंध योग्य कहलाती है। Bandha Yogya Prakrti- Karmic nature causing binding
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंध योग्य प्रकृति- 8 कर्मो की 120 कर्म प्रकृतियां बंध योग्य कहलाती है। Bandha Yogya Prakrti- Karmic nature causing binding
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजुलमती – जूनागढ के राजा उग्रसेन की पुत्री, जिनका विवाह राजा नेमिनाथ के साथ होने वाला था, किन्तु कारण वष नेमिनाथ के दीक्षा लेते ही राजुल ने भी कौमार्य अवस्था मे ही आर्यिका दीक्षा धारण कर ली। पुन यही नेमिनाथ भगवान के समवषरण में मुख्य आर्यिका बनी। Rajulmati- Name of a chief Aryika (ganini)…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षडनायतन – Sadanaayatana. See – Sat Anaayatana. देखें – षट् अनायतन “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट् कर्म – Sat Karma. Six occupations for livelihood instructed by Lord Rishabhadev. भगवान ऋषभदेव द्वारा प्रजा की आजीविका के लिए बताये गये 6 कार्य; असि,मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगसूत्र – योगदर्षन के सिद्धान्त आदि। व्याकरणकार पातंजलि के द्वारा संचालित सूत्र जिस पर व्यास ने भाश्य लिखा है। समय ई पू 4। Yogasutra-The principle of yoga philosophy
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्वेतवर्ण – Shvetavarna. White colour, as a sign of meritoriousness. एक लौकिक मंगल, यह अरहंत भगवान के शुक्लध्यान, शुक्ल लेश्या का प्रतीक होने से मंगल कहलाता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधक-कर्मो का बंध करने वाला, ऋण के बदले रखी जाने वाली वस्तु। Bandhaka- one related to the binding of karmas, a surety or guarantee
[[श्रेणी:शब्दकोष]] श्रेयांस – Shreyaansa. Name of a king, a great personality of Jaina history who gave sugarcane juice to Lord Rishabhdev, initiating the food-offering to the Jaina saints. हस्तिनापुर के कुरुवंशीय राजा सोमप्रभ के भाई ” वृषभदेव को देखकर पूर्व भव में अपने द्वारा दिए गये आहार दान का स्मरण हो आया था ” इससे…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधअपसरण-अपकर्शण; बंध का क्रम से घटना बंधापसरण है। BandhaApasarna- Bond reduction
[[श्रेणी:शब्दकोष]] योगनिर्वाणसंप्राप्तिक्रिया – गर्भान्वय की एक क्रिया इसमे साधक सल्लेखना में स्थिर होकर राग आदि दोशो को छोडते हुए षरीर कृष करता हुआ मोक्ष का ही चितन करता है। Yoganirvanasampraptikriya-Aversion from all attachments for getting salvation (reg. holy death of a saint, an auspicious activity)