पुद्गल अस्तिकाय!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल अस्तिकाय – Pudgala Astikaya. One of the five Astikayas. पांच अस्तिकायों में एक; इसमें एक प्रदेश वाले अणु को भी प्रदेश प्रचय की शक्तिरूप स्वभाव के कारण अस्तिकाय कहा है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल अस्तिकाय – Pudgala Astikaya. One of the five Astikayas. पांच अस्तिकायों में एक; इसमें एक प्रदेश वाले अणु को भी प्रदेश प्रचय की शक्तिरूप स्वभाव के कारण अस्तिकाय कहा है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] मनोरम्य – Manoramya. Name of a king of Rakshas dynasty. राक्षसवंशी एक राजा , राजा महाबाहु के पश्चात लंका का स्वामित्व इसे ही प्राप्त हुआ था “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वामदेव – Vaamadeva.: Name of a Bhattarak of Moolsangh of saints after Lord Mahaveera. मूलसंघी भट्टारक ,प्रतिष्ठा आदि विधानों के ज्ञाता ” कृतियां – भावसंग्रह, त्रैलोक्यप्रदीप, त्रिलोकसार पूजा, तत्त्वार्थसार आदि ” समय – वि.श. 14-15 “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुण्य आस्त्रव – Punya Asrava. Influx of meritorious & auspicious Karmic results. पुण्यकर्म आने योग्य भाव; मन वचन काय की शुभ क्रिया “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वादिराज – Vaadiraaj.: Name of a great Acharya, the writer of ‘Ekibhava Stotra’. एक आचार्य जिन्होंने एकीभाव स्तोत्र की रचना कर अपने कुष्ठ रोग को दूर किया “इनकी अन्य रचनाएं पार्श्वनाथ चरित्र ,यशोधर चरित्र ,न्याय विनिश्चय विवरण आदि हैं (समय –ई.स. 1010 – 1065) “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचेन्द्रिय जीव – Panchendriya Jeeva. Five sensed Tiryanch beings (animals etc.). मनुष्यादि जीव जिनके स्पर्शन रसना, घ्राण, चक्षु और श्रोत्र इन्द्रियां पाई जाती है” इनके दो भेद है- मनसहित-संज्ञी, मनरहित- असंज्ञी “
ईर्यापथकर्म Flow of non – binding Karmas. योग से जिन कर्मों का आस्रव होता है पर बंध नहीं होता अगले भव में बिना फल दिये ही झड़ जाते हैं।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुक्लपक्ष – Shuklapaksha. The bright half of a lunar month (from new to full moon day). चंद्रमास का उज्जवल या सुदी पक्ष ” अथवा प्रतिप्रदा से राहू के गमन विशेष से चंद्रमंडल या चन्द्रमा की एक-एक कला खुलती चली जाती है, 16 कला पूर्ण होने पर पूर्णिमा होती है ऐसे कलावृद्धि पक्ष को शुक्लपक्ष…
एकत्वसप्ततिका Name of a book on soul theory. शुद्धात्म स्वरूप पर संस्कृत भाषा में रचित ग्रन्थ (ई.श्. 11 का उत्तारार्ध)।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
वाणिज्य – Vaanijya.: Trade, Commerce, Business, an important activity of livelihood. भगवान आदिनाथ द्वारा उपदेशित ष्टकर्मों में एक कर्म; व्यापार द्वारा आजीविका करना “