स्वर्णकूला नदी!
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्णकूला नदी – Svarnakuulaa Nadii. Name of a river of Hairanyavata region. हैरण्यवत क्षेत्र की एक नदी। यह 14 महानदियो मे 11वीं महानदी है एवं पुण्डरीक सरोवर से निकलती है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वर्णकूला नदी – Svarnakuulaa Nadii. Name of a river of Hairanyavata region. हैरण्यवत क्षेत्र की एक नदी। यह 14 महानदियो मे 11वीं महानदी है एवं पुण्डरीक सरोवर से निकलती है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति अघाती – Prakrti Aghati. A type of karmic nature. कर्म प्रक्रति का एक भेद; जो प्रतिजिवी गुणों का घात करती हैं वह अघाती कर्म प्रक्रतियां कहलाती हैं “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मेखलापुर– Mekhalpur. A city in the southern Vijayardh mountain. विजयार्धकी दक्षिण श्रेणी का एक नगर”
[[श्रेणी: शब्दकोष]] स्वरुप – Svruupa. Own form or shape, nature. आकृति आकार लक्षण।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विवेचन – Vivechana. Thorough investigation, Meaningful description or exposition of treatise. कथन, व्याख्यान, वर्णन, शास्त्रों के कथन करने की पध्दति का कथन करना “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == संल्लेखना : == संलेखना च द्विविधा, अभ्यन्तरिका च बाह्या चैव। अभ्यन्तरिका कषाये, बाह्या भवति च शरीरे।। —समणसुत्त : ५७४ संल्लेखना दो प्रकार की है—आभ्यन्तर और बाह्य। कषायों को कृश करना आभ्यन्तर संल्लेखना है और शरीर को कृश करना बाह्य संल्लेखना है। कषायान् प्रतनून् कृत्वा, अल्पाहार: तितिक्षते। अथ भिक्षुग्र्लायेत्…
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वरकीर्ति – Svarakiirti. Name of a Bhattarak of Nandi group. न्ंदिसंध बलात्कार गण की भट्ठारक, आम्नाय वारां की गट्ठी के भट्ठारक (समय वि.सं. 1167), अपरनाम सूरकीर्ति। ये भावनंदि के शिष्य तथा विद्याचन्द्र के गुरु थे।
त्रिकाल वंदना Act of paying reverence three times a day. पूर्वाह्न, मध्याह्न, व अपराह्न , में की जाने वाली सामायिक। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विश्वभूषण – Vishvabhushana. Name of a Digambar saint, the composer of ‘Bhaktamar charit’ & ‘lndradhvaj Vidhan’ in Sanskrit. भक्तामर चरित एवं संस्क्रत इंद्रध्वज विधान के रचियता एक दिगम्बर साधु “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संतिणाहचरिउ – Santinaahacariu. Name of a treatise written by Subhkirti Bhattarak. शुभकीर्ति भट्टारक (ई. 1437) कृत अपभ्रंश भाषाबद्ध ग्रंथ “