संकुट!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संकुट – Sankuta. Contracted, Limited. जीव अति सूक्ष्म देह मिलने से संकुचित होता है, इसलिए उसे संकुट कहा गया है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संकुट – Sankuta. Contracted, Limited. जीव अति सूक्ष्म देह मिलने से संकुचित होता है, इसलिए उसे संकुट कहा गया है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बंधस्पर्श – निक्षेप रुप स्पर्श का एक भेद; औदारिक, वैक्रियक, आहरक, तैजस और कार्मण शरीर बंध स्पर्श है। Bandhasparsa- Body formation caused due to karmic Binding
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स – Sa. The 32nd consonant of the Devanagari syllabary. देवनागरी वर्णमाला का बत्तीसवाँ व्यंजन अक्षर, इसका उच्चारण स्थान दन्त है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ब्रहत्कथासरितसागर – Brhatkathasaritasagara. A book written by Acharya Somdeva . आचार्य सोमदेव (ई. श. १९ मध्य ) द्वारा रचित एक कथाकोष “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षड्विध आहार – Sadvidha Aahaara. Six kinds of intakes. कर्माहार, नोकर्माहार, कवलाहार, लेप्याहार, ओजाहार, मानसाहार “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रास्थाल- भरत क्षेत्र उत्तर आर्यखण्ड का एक देष। Prasthala- name of the initiation tree of lord Sumathinath & lord padmaprabha
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == विषय : == खेलम्मि पडिअमप्पं जह न तरइ मच्छिआवि मोएऊं। तह विसयखेलपडिअं न तरइ, अप्पंपि कामंधो।। —इन्द्रियपराजय शतक : ४६ जिस तरह श्लेष्म में पड़ी हुई मक्खी श्लेष्म से बाहर निकलने में असमर्थ होती है, वैसे ही विषयरूपी श्लेष्म में पड़ा हुआ व्यक्ति अपने आपको विषय से अलग…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षट्त्रिंशत – Sattrinshata. Thirty Six (basic restraints of Acharya etc.) 36 (आचार्य के 36 गुण; 12 तप, 10 धर्म, 6 आवश्यक, 5 आचार, 3 गुप्ति) “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैक्रियिक षटक –VaikriyikaSarka A type of hexa pertaining to transformable body (of deities & hellish beings). वैक्रियिक शरीर व वैक्रियिक अंगोपांग, नरक गति व नरक गत्यानुपूर्वी, देवगति व देवगत्यानुपूर्वी “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] षंड वन – Shanda Vana. The initiation forest of Lord Mahavira. तीर्थंकर महावीर का दीक्षा वन ” इसके अन्य नाम ज्ञातृ वन व मनोहर वन भी मिलते हैं “