प्रज्ञाभाव छेदना!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रज्ञाभाव छेदना – Pragyaabhaava Chhedanaa. Sagacious knowledge related to 6 entries (dravyas). मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्ययज्ञान और केवलज्ञान के द्वारा छह द्रव्यों का ज्ञान होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रज्ञाभाव छेदना – Pragyaabhaava Chhedanaa. Sagacious knowledge related to 6 entries (dravyas). मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्ययज्ञान और केवलज्ञान के द्वारा छह द्रव्यों का ज्ञान होना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पद्मनिभ: A king of Vidyadhara dynasty. विद्याधर वंश का एक राजा ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] पोदनपुर – Podanapura. Name of a city, capital of the kingdom of Lord Bahubali, Name of a Digamber Jaina place of pilgrimage situated in Borivali, Mumbai. It is constructed on the inspiration of Shri Nemisagar Ji Maharaj & idols of Lord Adinath – Bharat & Bahubali are consecrated here. प्राचीन इतिहास के…
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पद्धतिटिका: A book written by Acharya kund-kund. आचार्य कुन्द-कुन्द (ई0 127-179) द्वारा कषाय पाहुड तथा षट्खंडागम की टीका ।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यदुवंश–Yaduvansh. The other name of Yadav dynasty. यादववंश; जिसकी उत्पत्ति हरिवंश के एक राजा ‘यदु’ से हुई”
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पदसाहित्य: Name of aphilosopical book. ई0 सन 1724.32 में अध्यात्म पद विषयक रचित एक ग्रंथ ।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विशेष गुण – Vishesha. Guna. Special characteristics recognizable properties of matter. जिस गुण से द्रव्यों में भेद जाना जाता है अर्थात् विशेष गुणों के द्वारा द्रव्य विशेष सिद्ध किया है ” सर्वद्रव्यों में विशेष गुण १६ हैं “
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == मोह-विजय : == णिस्सेसखीणमोहा, फलिहामलभायणुदयसमचित्तो। —पंचसंग्रह : १-१५ जिसने सम्पूर्ण मोह को पूरी तरह नष्ट कर दिया है, उस निर्मोही का चित्त स्फटिक मणि के पात्र में रखे हुए स्वच्छ जल की भाँति निर्मल हो जाता है।
[[श्रेणी: शब्दकोष]] पत्रचार ऋद्वि:A type of supermatural power of unviolennceful passing through leves (related to Jaina saints). दिगम्बर जैन मुनियों को प्राप्त होने वाली एक ऋद्वि जिसके प्रभाव से पत्तों आदि में रहने वाले जीवों की विराध्ना न करके उनके ऊपर से मुनिगण जा सकते है।
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मैनासुंदरी–Mainasundri. Name of a great pious lady in the Jain history. राजा पहुपाल की पुत्री, जिसे क्रोध के वश पिता ने श्रीपाल कुष्टी के साथ विवाह दी” गंधोदक द्वारा पति का कुष्ट दूर किया आयर अन्त में दीक्षा ली”