विद्या :!
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == विद्या : == सम्यगाराधिता विद्यादेवता कामदायिनी। —आदिपुराण : १६-९९ विद्या देवता की सम्यग्—सही विधि से आराधना करने पर वह समस्त इच्छित फल प्रदान करती है।
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == विद्या : == सम्यगाराधिता विद्यादेवता कामदायिनी। —आदिपुराण : १६-९९ विद्या देवता की सम्यग्—सही विधि से आराधना करने पर वह समस्त इच्छित फल प्रदान करती है।
[[श्रेणी : शब्दकोष]] विषयाभिलाषा – Vishayabhilasha. Intense lust for passions. तृष्णा; सांसारिक सुखदायक पदार्थ कभी भी मेरे से अलग न होवें ऐसी तीव्र अभिलाषा “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल परमाणु – Pudgala Paramanu. Indivisible particle of the matter (Pudgal). एक प्रदेशी पुद्गल जिसका दूसरा हिस्सा नहीं हो सकता तथापि यह उत्पाद व्यय गुण सहित होता है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वामन संस्थान – Vaamana Sansthaana.: A Karmic nature causing pigmy or short heightened body. नामकर्म की एक प्रकृति; जिस कर्म के उदय से जीव का बौना शरीर होता है “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भिन्नपुर्वित्व ऋध्दी – Bhinnapurvitva Rddhi. A type of super natural power. एक प्रकार की ऋद्धि ” बुद्धि ऋद्धि के दशपुर्वित्व के दो भेदों में एक भेद “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैदूर्यमणि –Vaiduryamani The sapphire-a coloured gem, Body colour of Lord Munisuvratnath&Neminath was like sapphire. नीलम, नील वर्ण वाली मणि – तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ एवं तीर्थकर नेमिनाथ का वर्ण वैदूर्यमणि सट्दश था ” सुमेरु पर्वत की चूलिका वैदूर्यमणियी हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंडितपंडितमरण – Panditapanditamarana. Auspicious & holy liberation of omniscient or salvation of Lord Arihant. क्षीणकसाय केवली भगवान के निर्वाण को पंडितपंडित मरण कहते हैं “
ईषत्संसार World of non-salvated beings but free from birth-death cycle. अर्हंतावस्था या संयोगकेवली की पुनः जन्म न होने से जीवन मुक्त अवस्था एंव अभी मोक्ष न होने से ईषत्संसासर है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] वैदर्भ –Vaidarbha A country of Bharat KshetraAryaKhand (region), Name of the prime chief disciple of Lord Chandraprabh&Lord Pushpadantnath. भरतक्षेत्र आर्यखंड का एक देश, तीर्थकर पुष्पद्न्तनाथ के प्रथम गणधर का नाम (अपरनाम – विदर्भ) “
णमोंकार धाम Name of a newly built place of pilgrimage situated at Sanavad (M.P.) and constructed on the inspiration of Ganini Shri Gyanmati Mataji. इंदौर (मण्प्रण्) के निकट सनावद में सन् 1996 में गणिनी आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से एंव क्षुल्लक श्री मोती सागर जी की भावनानुसार उनके ससंघ सानिघ्य में इस तीर्थ…