पांडुकवन!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पांडुकवन:The fourth forest of sumeru mountain.सुमेरु पर्वत का चतुर्थ वन। इसमे 4 चैत्यालय है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पांडुकवन:The fourth forest of sumeru mountain.सुमेरु पर्वत का चतुर्थ वन। इसमे 4 चैत्यालय है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परस्परोपग्रह:Mutual help, rendering help to one another.जीव द्रव्य का उपकार, आपस में एक दूसरे की सहायता करना । जैसे-गुरू ज्ञान आदि देकर शिष्य का उपकार करते है। तथा शिष्य गुरू की सेवा, आज्ञापालन आदि करके गुरू का उपकार करता है।
त्रिपंचाशत् भाव Fifty three types of subsidential disposition. जीवों के औपशमकादिभाव जो 53 प्रकार के हैं। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शरीर पर्याप्ति – Sharera Paryaaypti. Formation of assential elements of body. पर्याप्ति के छः भेदों में दूसरा भेद, जिन परमाणुओं को खल्रूप परिणमाया था उनको हाड, रस,रुधिर आदि रूप परिणमावने की कारण भूत जीव की शक्ति की पूर्णता को शरीर पर्याप्ति कहते हैं “
उपमान-उपमेय संबंध Mutual relation between the objects of compa-rison. वह संबंध जिससे किसी की तुलना की जाये वह उपमान एंव जो तुलना करने करने के योग्य हो वह उपमेय।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
आपवादिक लिंग White clothed Digambar Jain ascetics etc. परिग्रह सहित भेष या चिन्ह, आर्यिका (उपचार महाव्रती) ऐकल क्षुल्लक आदि जैनधर्म में दो मार्गं हैं- उत्सर्ग मार्ग और अपवाद मार्ग।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उपनिषद भाष्य A book written by ‘Sureshvarji’. वेदान्त साहित्य प्रवर्तक शंकर के शिष्य सुरेश्वर (ई.820) कृत एक ग्रंथ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
उपचरित सद्भूत व्यवहासर नय A type of figurative conception/perception. उपाधि सहित गुण व गुणी में भेद को विषय करने वाला नय जैसे जीव के मतिज्ञान आदि गुण।[[श्रेणी:शब्दकोष]]