मूर्च्छा!
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूर्च्छा–Muurchchha. Unconsciousness, Delusion, Attachment, Worldly, Worldly involvement. बेहोशी, मोह, जैनागमानुसार ‘मूर्च्छा’ परिग्रह या ममत्व भाव है”
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूर्च्छा–Muurchchha. Unconsciousness, Delusion, Attachment, Worldly, Worldly involvement. बेहोशी, मोह, जैनागमानुसार ‘मूर्च्छा’ परिग्रह या ममत्व भाव है”
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बाल ब्रह्मचारी – Bala Brahumacari. A celibate from childhood. बालपने से ही ब्रह्मचर्य वृत को पालने वाला “
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वभाव ज्ञान – Svabhaava Jnnaana. Self revealing knowledge, natural knowledge. जो इन्द्रिय रहित असहाय केवलज्ञान है वह स्वभाव ज्ञान है।
द्वितीयोपशम सम्यत्तव Second subsidential right belief. उपशम श्रेणी चढ़ने वाले साधु को क्षयोपशम सम्यग्दर्शन से पुनः जो उपशम सम्यक्त्व होता है उसे द्वितीयोपशम सम्यग्दर्शन कहते है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आयुकर्मप्रकृति A karmic nature causing age binding. जिस कर्म के उदय से यह जीव निश्चित समय तक नरक, तिर्यंच, मनुष्य, देवच के शरीर में रूका रहे।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वप्रतिभास – Svapratibhaasa. Self apprehension.स्वप्रतिभास को केवल दर्शन कहते है।
द्विचरमकाल The time less than one Samay than the ultimate time. अंतिम समय से एक समय पूर्व का काल द्विचरमकाल कहलाता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] स्वनिमित्तक उत्पाद – Svanimittaka Utpaada. Modification or change due to own causes (reg. any matter).स्व के निमित से होने वाला परिणमन; प्रत्येक द्रव्य मे अगुरुलधु गुण का छह स्थान पतित हानि और वृद्वि के द्वारा वर्तन होता रहता है। अतः इनका उत्पाद और व्यय स्वभाव से होता है।
द्वयर्धगुणहानि A type of decreasing series. गुणहानि आयाम को ड्योढ़ा (द्वयर्ध) करने पर जो प्रमाण प्राप्त हो। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति (ध्रुव – अध्रुव ) – Prakrti (Dhruva –Adhruva). Karmic nature with continuous & non-continu-ous binding. ध्रुव – अध्रुव प्रकृति; बंध व्युच्छित्ति पर्यत जिनका बंध होता रहे वह ध्रुव बंधी तथा जिनका बंध होकर रुक जाता है वह अध्रुव बंधी प्रकृतियां हैं “