शीलसप्तमी व्रत!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शीलसप्तमी व्रत – Sheelasaptamee Vrata. A kind of fasting foe 7 years with specific procedure. सात वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल 7 को उपवास तथा णमोकार मंत्र त्रिकाल जाप करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शीलसप्तमी व्रत – Sheelasaptamee Vrata. A kind of fasting foe 7 years with specific procedure. सात वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल 7 को उपवास तथा णमोकार मंत्र त्रिकाल जाप करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंचविंशतिका – Panchavinshatikaa. Name of a book written by Acharya Somdev-2. आचार्य सोमदेव-2 (ई. सन् 1062-1081) कृत एक ग्रंथ “
दूर घ्राणत्व ऋद्धि A supernatural power of super-distantial attainment of smelling . जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु को घ्राण – इन्द्रिय के उत्कृष्ट विषय क्षेत्र से भी संख्यात योजन दूर स्थित गंध जानने की सामथ्र्य प्राप्त होती है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्तामर विधान – Bhakramara Vidhana. A worshipping book of Bhaktamar Stotra. एक पूजा विशेष जिसमें भक्तामर स्तोत्र के ४८ काव्य पढ़कर ४८ अधर्य चढ़ाते हुए भगवान आदिनाथ की पूजा की जाती है ” इसकी रचना गणिनी ज्ञानमती माताजी की शिष्या आर्यिका श्री चंदनामति माताजी के द्वारा की गई है ” अन्य लेखकों…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पंच भ्रष्ट मुनि – Pancha Bhrashta Muni. Saint with five types of faults. पार्श्वस्थ, कुशील, संसक्त (आहार का लोभी), अपगत (ज्ञान रहित), मृगचारी (स्वछन्द अर्थात् अनर्गल विहारी) मुनि “
दुषमा सुषमा काल Period of about one Korakori Sagar (a long period of crores of years) is called Dushama Sushama Kala i.e. period with misery and pleasure. अवसर्पिणी काल का चैथा और उत्सर्पिणी काल का तीसरा भेद। यह 42 हजार वर्ष कम एक कोडाकोडी सागर का होता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वांछा – Vaanchaa.: Desire,Longing, a type of passion. इच्छा ,अभिलाषा “इसे ही परिग्रह कहा गया है “
उषित अन्न Stale food, Not edible. बासी व अमर्यादिक भोजन, अग्नि पर पकाये हुए अथवा गर्म घी में पकाये हुए पदार्थ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वसुनंदि – Vasunandi.: Name of different Acharyas of Nandi group. नंदिसंघ देशीयगण के एक आचार्य ,जिनका अपरनाम जयसेन था “श्रावकाचार ,प्रतिष्ठासार संग्रह ,मूलाचार वृत्ति, आप्तमीमांसा वृत्ति ,जिनशतक,वस्तु आदि के रचयिता ” समय –ई.स. 1068-1118 “इस नाम के और भी कई आचार्य हुए हैं “