वासना!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वासना – Vaasanaa.: Passion,Passionate feelings. संस्कार, अविद्या ,अज्ञान, कषाय आदि की पुनः पुनः प्रवृत्ति रूप अभ्यास से उत्पन्न संस्कार वासना कहलाते हैं “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] वासना – Vaasanaa.: Passion,Passionate feelings. संस्कार, अविद्या ,अज्ञान, कषाय आदि की पुनः पुनः प्रवृत्ति रूप अभ्यास से उत्पन्न संस्कार वासना कहलाते हैं “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] यज्ञोपवीत–Yagyopavit. Sacred thread (used for sanctifying or purificatory rites). एक संस्कार; चक्रवर्ती भरत ने 11 प्रतिमाओ के विभाग से वृतो के चिन्ह स्वरुप एक से लेकर 11 तार के सूत्र व्रतियो को दिये थे, जनेऊ; रत्नत्रय एवं सात परम स्थानो का सूतक 3 व 7 तारो का सूत्र” सभी पूजन–दान आदि क्रियाओ में…
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मूढ़ता–Muudhta. Ignorance, Stupidity. अज्ञानता, तत्वों के यथार्थ ज्ञान में भड़क कुद्रष्टि” इसकेतीन भेद है – देवमूढ़ता, गुरुमूढ़ता, लोकमूढ़ता”
[[ श्रेणी:जैन_सूक्ति_भण्डार ]] [[ श्रेणी:शब्दकोष ]] == गच्छ : == रत्नत्रयमेव गण:, गच्छ: गमनस्य मोक्षमार्गस्य। संघो गुणसंघात:, समय: खलु निर्मल: आत्मा।। —समणसुत्त : २६ रत्नत्रय ही ‘गण’ है। मोक्षमार्ग में गमन ही ‘गच्छ’ है। गुण का समूह ही संघ है तथा निर्मल आत्मा ही समय है। अत्यं यासइ अरहा सुत्तं गंथंति गणहरा निउणं। अर्थ (सिद्धान्त/भाव…
दुष्टनिग्रह To punish the corrupted, wicked or vicious persons. दुष्टों को दंड देना(राजा या क्षत्रिय का एक कत्र्तव्य)। [[श्रेणी:शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शुद्धद्रव्य नैगम नय – Shuddhadravya Naigama Naya. A standpoint pertaining to pure matters. शुद्धद्रव्य को विषय करने वाले संग्रह व व्यवहार नय “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुनरुज्जीवन – Punarujjivana. Resurrection, resurgence. पुनर्जीवन “
देव God, Deity, Celestials. देव शब्द का प्रयोग अर्हंत व सिद्ध भगवन्तों के लिए तथा देवगति में जन्म लेने वाले संसारी जीवों के लिए होता है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]] या Name of an Acharya possessing knowledge of 11 Angas and 10 Purvas. भद्रबाहु प्रथम (श्रुतकेवली) के पश्चात् दसवें आचार्य जो 11 अंग व 10 पुर्व…
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मृत्यु–Mratyu. Death. मरण; जीवो के प्राणों का विसर्जन या जीव का निष्प्राण हो जाना”
[[श्रेणी:शब्दकोष]] पुद्गल बंध – Pudgala Bamdha. Assemblage of two or more matters. दो, तीन आदि पुद्गलों का समवाय संबंध. स्कंध; स्निग्ध- रुक्ष आदि गुणों के कारण पुद्गलों का जो बंध होता है “