देवभाव!
देवभाव A chief disciple of Lord Rishabhdeva. भगवान् ऋषभदेव के चैरासी गणधरों में एक गणधार।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
देवभाव A chief disciple of Lord Rishabhdeva. भगवान् ऋषभदेव के चैरासी गणधरों में एक गणधार।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संख्या व्यभिचार – Sankhyaa Vyabhichaara. Wrong interpretation of numbers. एकवचन की जगह द्विवचन आदि का कथन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रस्तार- प्रमाद के भंग निकालने की 5 विधियों में एक विधी; संख्या निकालने के क्रम को प्रस्तार कहते है। Prastara- Something related to mathematical calculation
[[श्रेणी:शब्दकोष]] प्रश्न – पदार्थ को जानने की इच्छा होना। Prasna- Question, Desire to know something
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बड़- एक पेड़ का नाम जिसके फल अभक्ष्य कहे गये है। Bara- The Banyan Tree
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजसेना – राजा की सेना इसकी 18 श्रेणिया होती है। Rajasena- The army of a king
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सौवीर भुक्ति व्रत -Sauvira Bhukti Vrata. A specified procedural vow (fasting).प्रारम्भ करने के दिन से पहिले एक बार परोसा भोजन करना; अगले दिन उपवास करना । पश्चात एक ग्रास वृद्धि क्रम से एक ग्रास से 10 ग्रास पर्यन्त 10 दिन तक भात व इमली का भोजन करना । पुनः उससे अगले दिन से एक…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजसूय – चक्रवर्ती सागर के समय मे प्रचलित राजाओं के द्धारा किया जाने वाला एक अनार्थ यज्ञ। महाकाल असुर के द्वारा हिंसा की प्रेरणा देने के लिए ये चलाया गया था। Rajasuya-Name of a violenceful yagya (sacrificial fire) prevalent at the time of Chakravarti sagar
गुप्ति Restraint, Self control (in attachments, passions etc.) सम्यक् प्रकार से योगों का निग्रह करना अथवा मन-वचन-काय की स्वछंद प्रवृत्ति को रोकना ।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लब्ध्यप्र्याप्तक – अपर्याप्तक नाम कर्म के उदय से जो जीव अपने योग्य पर्याप्तियों को पूर्ण किए बिना ही ष्वास के 18 वें भाग में मरण को प्राप्त हो जाता है अर्थात जिसके एक भी पर्याप्ति पूर्ण नही होती उसे लब्ध्यप्र्याप्तक कहते हैैं। Labdhyaparyaptaka-Absolutely, non development beings (Having very short life)