दर्शनविशुद्धि!
दर्शनविशुद्धि Purity of right faith. 16 कारण भावना में पहली भावना सम्यग्दर्शन को अत्यन्त निर्मल व दृढ़ हो जाना। इसके होने पर ही तीर्थंकर प्रकृति का बंध संभव है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दर्शनविशुद्धि Purity of right faith. 16 कारण भावना में पहली भावना सम्यग्दर्शन को अत्यन्त निर्मल व दृढ़ हो जाना। इसके होने पर ही तीर्थंकर प्रकृति का बंध संभव है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
ट The eleventh consonant of the Devanagari syllabary.देवनागरी लिपि का ग्यारहवाँ व्यंजन अक्षर, इसका उच्चारण स्थान मूर्धा है। [[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बहिस्तत्त्व- तत्त्व का एक भेद; तत्त्व बहिस्तत्त्व और अन्तस्तत्त्वरुप परमात्मा तत्त्व ऐसे भेदों वाले होते है। Bahistattva- The external element
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रोगराहित्य – रोगरूपी बाधा का अभाव होना। अर्हत भगवान के देवकृत अतिषयों में एक अतिषय। समवषरण में सम्पूर्ण जीवों को रोग आदि की बाधाए नही होना। Rogarahitya-Devoid of disease, an excellence of lord Arihant
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बालपंडितमरण- सम्यग्दृष्टि देशव्रती श्रावक का मरण। Balapanditamarana- Death of a well conducting householder
[[श्रेणी:शब्दकोष]] राजवृत्ति – राजा का कार्य, पक्षपात हो कुल की मर्यादा, बुद्धि और अपनी रक्षा करते हुए न्याय पूर्वक प्रजा का पालन करना राजाओं की राजवृत्ति कहलाती है। Rajavrtti-Ruling duties of a king
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बलदेव- बलभद्र; नारायण के बड़े भई, ये संख्या में 9 होते हैं एवं स्वर्ग या मोक्ष जाते है। Baladeva- A type of great personages
[[श्रेणी : शब्दकोष]] ममकार – Mamakara. My-ness , A feeling of mine with worldly objects. आत्मा से भिन्न पर पदार्थों में मेरेपन का भाव ममकार हैं “
उपशमसम्यग्दृष्टि One who acquires right faith due to upasham. उपशम सम्यक्त्व को प्राप्त करने वाला।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] बन्ध (पुण्य-पाप)- पुण्य एवं पाप कर्मो का बंध होना। Bandha (punya- papa)- Binding of karmas- meritorious & demeritorious