दश विकार!
दश विकार Ten types of lustful sensual desires of human being. काम के वेग चिंता, स्त्री को देखने की इच्छा , दीर्घनिःश्वास, ज्वर, शरीर का दग्ध होना, भोजन न रूचना , मूर्छा की गोचरी आदि वृत्तियों का वर्णन किया गया है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
दश विकार Ten types of lustful sensual desires of human being. काम के वेग चिंता, स्त्री को देखने की इच्छा , दीर्घनिःश्वास, ज्वर, शरीर का दग्ध होना, भोजन न रूचना , मूर्छा की गोचरी आदि वृत्तियों का वर्णन किया गया है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
आरम्भवाद The Sankhya theory of identity of cause and its effect. कारण और कार्य के अस्तित्व का एक सांख्य दर्शन।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बोध पाहुड – Bodha Pahuda. A book written by Acharya Kund – kund . आचार्य कुन्दकुन्द (ई. १२७ – १७९) कृत एक ग्रंथ “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] बीजचारण ऋद्धि – Bijacarana Rddhi. A type of supernatural power of non-violently walking over the seeds, sprout etc. ऋद्धि; बीज, अंकुर आदि में रहने वाले जीवों को पीड़ा न पंहुचाकर उनके उपर से गमन करना “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सुविधि – Suvidhi. The 4th past-birth soul of Lord Rishavhdev, The another name of the 9th Tirthankar (Jaina-Lord) Pushpadantnath. भगवान ऋषभदेव का पूर्व का चैथा भव । यह विदेह क्षेत्र के महावत्स देश के सदृष्टि राजा का पुत्र था । पुत्र केशव के माह से दीक्षा न लेकर श्रावक के उत्कृष्ट व्रत ले कठिन…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्यापक – Niryaapaka. A main preceptor who gets the holy procedure of voluntary death (Samadhi) of an another saint accomplished. समाधि मरण करने वाले क्षपक की वैयावृत्तिकने में उत्तम साधु “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भव – Bhava. World, Body form, Name of the predestined 6th Rudra. आयुनामकर्म के उदय से जीव की जो मनुष्यादि पर्याय होती है उसे भव कहते हैं, भविष्यकालीन छठे रूद्र का नाम “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] निर्माण नाम कर्म प्रकृति – Nirmana Naama Karma Prakrti. Physique making Karma (related to body formation). वह कर्म जिसके निमित्त से शारीर के अंगोपांगों की रचना होती है “