भक्ति!
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्ति – Bhakti. Eulogical devotion for Lord. अर्हत आदि के गुणों में अनुराग रखना भक्ति है अथवा निज परमात्म तत्त्व के सम्यक् श्रध्दान – अवबोध – आचरण स्वरूप शुद्ध रत्नत्रय परिणामों में अनुरक्त रहना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भक्ति – Bhakti. Eulogical devotion for Lord. अर्हत आदि के गुणों में अनुराग रखना भक्ति है अथवा निज परमात्म तत्त्व के सम्यक् श्रध्दान – अवबोध – आचरण स्वरूप शुद्ध रत्नत्रय परिणामों में अनुरक्त रहना “
[[श्रेणी : शब्दकोष]] भवभिघ – Bhavabhidya. One destroyer of worldy transmigration, An epi- thet for the devotional prayer of Lord Arihant. संसार का भेदन करने वाली जिनभक्ति का विशेषण “
द्वीपसागरप्रज्ञप्ति A type of scriptural knowledge (shrutgyan). अंग श्रुतज्ञान का एक भेद, दृष्टिवाद (12 वें अंग) का एक भेद; जिसमें असंख्यात द्वीप व सागरों का 52 लाख 36 पदों में वर्णन है। [[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी:शब्दकोष]] शरीर बंध – Shareera Bandha. Molecular bondage (formation) of 5 types of body. औदारिक, वैक्रियिक, आहारक तैजस और कार्माण शरीर बंध का होना शरीर बंध है “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परशुराम:Son of Jamdagni Tapas.जमदग्नि तापस का पूत्र, जिसने एक क्षत्रिय के द्वारा अपने पिता के वध का बदला लेने के लिए 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियविहीन किया था । अंत में यह सुभौम चक्रवर्ती के चक्र से मारा गया ।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] परवाद:Dispute, Reproach] Synonym word for shrutgyan (Scriptural knowledge),विवाद, अपवाद, दूसरे की निंदा, श्रुतज्ञान का एक पर्यावाची नाम ।
उदयापन्न To be in operation (of Karmic fruition). उदय को प्राप्त।[[श्रेणी:शब्दकोष]]
देवभक्ति Devotion towards Lord Jinendra. जिनेन्द्र देव के गुणों में विशेष अनुराग ।[[श्रेणी: शब्दकोष ]]
[[श्रेणी : शब्दकोष]] प्रकृति सप्रतिपक्षी – Prakrti Sapratipaksi. Karmic natures having mutual contradictions. ६२ कर्म प्रक्रतियां आपस में विरोधिपना होने से सप्रतिपक्षी कही जाती हैं “
[[श्रेणी :शब्दकोष]] मुरब्बा–Murabba. Jam; preserved fruit (not edible according to Jain philosophy). संधान(आचा आदि) जो त्रस जीवो से संसिक्त होने से अभक्ष्य अर्थात खाने योग्य नहीं है”