रूप!
[[श्रेणी:शब्दकोष]] रूप – आकार, मूर्तिक। Rupa-Appearance, Feature, Mode, Form
[[श्रेणी: शब्दकोष]]स्वार्थ प्रमाण – Svaartha Pramaana. Authority (Praman) of self knowledge. प्रमाण के दो भेदो मे एक भेद, ज्ञानात्मक प्रमाण को स्वार्थ प्रमाण कहते हैै। श्रुतज्ञान को छोड़कर शेष 4 ंस्वार्थ प्रमाण है परन्तु श्रुतज्ञान स्वार्थ और परार्थ दोनो प्रकार का हैं। वचनात्मक प्रमाण परार्थ प्रमाण कहलाता है।
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लाक्षा वााणिज्य कर्म – लाख, चमडा आदि पदार्थ का व्यापार करना। Laksa Vanijya karma-Trade of sealing vax or shellac
[[श्रेणी:शब्दकोष]] सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष – Saamvyavahaarika Pratyaksha. Right sensual apprehension or perception. प्रत्यक्ष के दो भेदो मे एक भेद जो ज्ञान इन्द्रिय और मन की सहायता से पदार्थ को एकदेष स्पष्ट जानता है। उसे सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष कहते है। यद्यपि सैद्वान्तिक दृष्टिकोण से यह परिभाषा परोक्ष ज्ञान मे धटित होती है परन्तु न्याय की भाषा मे इसे…
[[श्रेणी:शब्दकोष]] संवित्ति – Sanvitti. Consciousness, Intuition. ज्ञान, चेतना, अनुभव “
[[श्रेणी:शब्दकोष]] लय – लीनता, तन्यमयता जो मुनि कल्पना के जाल को दूर करने अपने चैतन्य आनंन्दमय स्वरूप में लय को प्राप्त होता है वही निष्चयरत्नत्रय का स्थान होता है। Laya-Absolute engrossment
उद्दिष्ट Intended, Purposeful, With motive. जिसका विचार किया हो उद्देश्य बंधा हो नियत की हुई हो।[[श्रेणी:शब्दकोष]]