गंगा आदि नदियों के गिरने के स्थान पर महल की छत पर जिनप्रतिमाएँ
गंगा आदि नदियों के गिरने के स्थान पर महल की छत पर जिनप्रतिमाएँ गंगादु रोहिदस्सा पउमे रत्तदु सुवण्णमंतदहे। सेसे दो द्दो जोयणदलमंतरिदूण णाभिगििर१।।५८१।। गङ्गाद्वे रोहितास्या पद्मे रक्ताद्वे सुवर्णा अन्तह्रदे। शेषेषु द्वे द्वे योजनदलमन्तरित्वा नाभिगिरिम्।।५८१।। गंगा। गङ्गा सिन्धुः रोहितास्या च पद्महदे उत्पन्नाः, रक्ता रक्तोदा सुवर्णकूला चान्तह्रदे पुण्डरीकाख्ये उत्पन्नाः। शेषेषु सरस्सु द्वे द्वे नद्यौ उत्पन्ने, तत्र…