जैनदर्शन
जैन दर्शन मंगलाचरण णमोकार महामंत्र एसो पंच णमोयारो, सव्व पावप्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेिंस, पढमं हवइ मंगलं।। जिसके द्वारा वस्तु तत्त्व का निर्णय किया जाता है वह दर्शनशास्त्र है। कहा भी है-‘‘दृश्यते निर्णीयते वस्तुतत्त्वमनेनेति दर्शनम्।’’ इस लक्षण से दर्शनशास्त्र तर्वâ-वितर्वâ, मन्थन या परीक्षास्वरूप हैं जो कि तत्त्वों का निर्णय कराने वाले हैं। जैसे-यह संसार नित्य है…