विजयद्वार का एवं उनमें जिनप्रतिमाओं का वर्णन
[[श्रेणी:मध्यलोक_के_जिनमंदिर]] == विजयद्वार का एवं उनमें जिनप्रतिमाओं का वर्णन विजयंतवेजयंतं जयंतअपराजयंतणामेिंह।। चत्तारि दुवाराइं जंबूदीवे चउदिसासुं१।।४१।। पुव्वदिसाए विजयं दक्खिणआसाय वइजयंतं हि। अवरदिसाय जयंतं अवराजिदमुत्तरासाए।।४२।। एदाणं दाराणं पत्तेक्कं अट्ठ जोयणा उदओ। उच्छेहद्धं रुंदं होदि पवेसो वि वाससमं।।४३।। ८। ४। ४। वरवज्जकवाडजुदा णाणाविहरयणदामरमणिज्जा। णिच्चं रक्खिज्जंते वेंतरदेवेिह चउदारा।।४४।। दारोवरिमपएसे पत्तेक्कं होदि दारपासादा। सत्तारहभूमिजुदा णाणावरमत्तवारणया।।४५।। दिप्पंतरयणदीवा विचित्तवरसालभंजिअत्थंभा। धुव्वंतधयवडाया विविहालोच्चेिह रमणिज्जा।।४६।।…