जैन धर्म की समाजवादी अर्थव्यवस्था
जैन धर्म की समाजवादी अर्थव्यवस्था जैन दर्शन निवृत्ति प्रधान है। यद्यपि जैनधर्म का अपरिग्रह का आदर्श सिद्धान्त धन के महत्त्व का विरोधी है। धन—संग्रह मुक्ति में बाधक है। धन के व्यवहार से मोक्ष नहीं मिल सकता है। इसमें आत्यन्तिक सुख नहीं। पुनरपि तीर्थंकरों के जन्म पर उनकी माता द्वारा देखे गये सोलह स्वपनों में एक…