सरस्वती चालीसा
सरस्वती चालीसा दोहा तीर्थंकर मुख से खिरी, नमूँ दिव्यध्वनि सार।द्वादशांगमय सरस्वती, को वन्दन शत बार।।१।। बुद्धि प्रखरता के लिए, करूँ मात गुणगान।जड़ता मेरी दूर हो, पाऊँ ऐसा ज्ञान।।२।। चालीसा माध्यम बने, गुण वर्णन में सार्थ।हों प्रसन्न माँ सरस्वती, मुझ मन में साकार ।।३।। चौपाई जय माँ सरस्वती जिनवाणी, जय वागीश्वरि जय कल्याणी।।१।। शारद मात...