स्वयम्भू स्तोत्र
स्वयंभू स्तोत्र येन स्वयंबोधमयेन लोका आश्वासिता: केचन वित्तकार्ये। प्रबोधिता: केचन मोक्षमार्ग तमादिनाथं प्रणमामि नित्यम्।।१।। जिन्होंने स्वयं उत्पन्न हुए अपने ज्ञान से किन्हीं को आजीविका में लगाकर आश्वस्त किया और किन्हीं को मोक्षमार्ग में प्रबुद्ध किया उन आदिनाथ जिनको मैं सदा नमस्कार करता हूँ।।१।। इन्द्रादिभि: क्षीरसमुद्र-तोर्ये: संस्नापिता मेरुगिरौ जिनेन्द्र:। य: कामजेता जन-सौख्यकारी तं शुद्ध-भावादजितं नमामि।।२।। काम...