गणधरवलय मंत्र स्तुति प्रस्तुति - गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी (हिन्दी पद्य) (चौबोल छंद) पद्य - १ ‘‘णमो जिणाणं’’ घातिकर्मजित, ‘‘जिन को ’’ नमस्कार होवे। सर्व कर्मजित सब सिद्धों को, नमस्कार भी नित होवे।। कहें ‘‘देशजिन’’ सूरि पाठक, साधूगण इंद्रियविजयी। रत्नत्रय से भूषित नित ये, इन सबको भी नमूं सही।।१।। पद्य - २ ‘‘ओहिजिणाणं णमो‘‘ सदा...
मनोकामना सिद्धि विधान : एक समीक्षा प्रतिष्ठाचार्य पं. नरेश कुमार जैन ‘‘कांसल’’ , जम्बूद्वीप हस्तिनापुर सिद्धान्तवाचस्पति, न्यायप्रभाकर, वात्सल्यर्मूित परम पूज्या १०५ गणिनी आर्यिका शिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी की सुशिष्या प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री १०५ चन्दनामती माताजी द्वारा रचित ‘‘मनोकामना सिद्धि विधान’’ जिनेन्द्र भक्ति पूजन की एक अनुपम कृति है। प्रस्तुत कृति की रचना पू. माताजी ने...
भजन, चालीसा, आरती संग्रह एवं हिन्दी काव्य स्तोत्र से संबंधित साहित्य समीक्षा समीक्षिका-आर्यिका सुदृढ़मती (संघस्थ—गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी) वर्तमान युग में देव, शास्त्र, गुरु की भक्ति ही कर्मों को काटने के लिये अमोघ शस्त्र है। जैनाचार्यों ने मोक्ष प्राप्ति के लिये दो मार्ग बताएँ हैं भक्ति मार्ग और दूसरा निवृत्ति मार्ग। आचार्य श्री कुन्दकुन्दस्वामी जैसे...
श्री सोलहकारण पूजा विधान समीक्षक—प्रतिष्ठाचार्य पं. प्रवीणचंद जैन शास्त्री जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर (मेरठ) उ.प्र. साहित्य समाज का दर्पण है एवं आगम आत्मा, धर्म व विश्व का तीसरा नेत्र कहा गया है जो दर्पण के बिना भी ज्ञान कराता है। पूजा विधान परम पूज्य प्रज्ञाश्रमणी र्आियका श्री चंदनामती माताजी के द्वारा रचित है। १३६ पृष्ठों के इस विधान...